राजस्थान में किसान आंदोलन

राजस्थान में किसान आंदोलन

*🌿बिजोलिया किसान आंदोलन🌿*

यह आन्दोलन *1897-1941* तक चला

 

इसे भारत का *पहला अहिंसात्मक किसान आंदोलन* माना जाता है

 

 

यह राजस्थान का *प्रथम संगठित किसान आंदोलन* था

 

बिजोलिया वर्तमान में *भीलवाड़ा* जिले मे हैे इसे *ऊपरमाल की जागीर गांव* कहा जाता था

 

इस जागीर का संस्थापक *अशोक परमार*था जो *1527 के खानवा युद्ध* में राणा सांगा की ओर से लड़ने गया था

 

इस आंदोलन के *प्रणेता साधु सीताराम दास* से उन्होंने इस आंदोलन का *नेतृत्व*किया था यह आंदोलन *धाकड़ किसानों*द्वारा किया गया था

 

इस आंदोलन की *शुरुआत 1897 में गिरधरपुरा गांव* में हुई थी जब किसानों के दो प्रतिनिधि *नानजी पटेल और ठाकरी पटेल मेवाड़ महाराणा फतेह सिंह* से मिलने उदयपुर गए थे

 

*1903 मे बिजोलिया के ठाकुर कृष्ण सिंह/किशन सिंह* की ने किसानों पर *चँवरी* नामक नया कर लगा दिया था इसके अंतर्गत किसानों को अपनी लड़की के विवाह पर *5रू (13 रुपए) ठिकाने  में जमा*करवाने पड़ते थे

 

नये राव पृथ्वी सिंह ने *1906* में किसानों पर *तलवार बंधाई (उत्तराधिकार शुल्क) और घुडपडी कर* लगा दिया

 

पृथ्वी सिंह के समय *मेवाड में 84 प्रकार की लागबाग लागत (लगान के अतिरिक्त शेष कर)* प्रचलित था

 

इस लागबाग लागत का *साधु सीताराम दास फतेहकरण चारण व ब्रह्मदेव ने 2 साल तक विरोध* किया और कोई कर नहीं दिया

 

1914 में सीतारामदास ने *विजय सिंह पथिक* को बिजोलिया आमंत्रित किया था

 

*1914 में चित्तौड़ में विद्या प्रचारिणी सभा*का अधिवेशन हुआ था इस *सभा में विजय सिंह पथिक और हरिबाई किंकर* भाग लेने आए थे

 

*विजय सिंह पथिक1916*में इस आंदोलन से जुड़ गए थे

 

🔹 विजय सिंह पथिक का *वास्तविक नाम भूपसिंह* था

 

🔹यह बुलंदशहर के निकट *गुठावली*के रहने वाले थे

 

🔹 इन्हें *21 फरवरी 1915* को प्रस्तावित क्रांति में *अजमेर क्षेत्र में क्रांति करने*की जिम्मेदारी दी गई थी

 

🔹क्रांति का *भंडाफोड़* होने के कारण *भूपसिंह को गिरफ्तार कर टाडगढ़ (ब्यावर)के किले* में नजर बंद कर दिया गया था

 

🔹यहां से फरार हो कर इन्होंने *अपना नाम विजय सिह पथिक* कर लिया

 

*बिजोलिया आंदोलन* को गति देने के लिए पथिक ने *1917 में बिजोलिया में उपरमाल पञ्च बोर्ड* का गठन किया था जिसका *पहला सरपंच मन्ना पटेल*को बनाया गया था

 

 

*कानपुर* से प्रकाशित होने वाले *प्रताप नामक समाचार पत्र*के माध्यम से पथिक ने इस आंदोलन को *देशभर में चर्चित*कर दिया था

 

महात्मा गांधी ने अपने *निजी सचिव महादेव देसाई* को किसानों की समस्या जाने के लिए बिजोलिया भेजा था

 

*1919 कांग्रेस अधिवेशन* में बिजोलिया आंदोलन का प्रस्ताव रखा गया था

 

महाराणा फतेह सिंह ने *1919 में बिंदु लाल भट्टाचार्य*की अध्यक्षता में एक आयोग मेवाड़ भेजा था जिसमें *सीताराम दास और माणिक्य लाल वर्मा*को रिहा करने की बात कही थी

 

किसने *1919 में वर्धा (महाराष्ट्र)में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना* की जिसे *1920 में अजमेर* स्थानांतरित कर दिया गया था इसी संस्था ने इस आंदोलन का संचालन किया था

 

कांग्रेस नेताओं के हस्तक्षेप से *1922  ई.ए.जी.जी. होलेंड व किसानों के बीच* समझौता हुआ जिसमें *84 में से 35 लाग माफ* कर दिए

 

1923 में पथिक को *विलियम ट्रेच*की रिपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था

 

1927 के बाद इस आंदोलन का नेतृत्व पथिक ने *फुर्सारिया ग्वालियर के पास मध्य प्रदेश* से किया था

 

1927 मैं जमुना लाल बजाज व हरिभाऊ उपाध्याय इस आंदोलन से जुड़े

 

इस आंदोलन से *माणिक्य लाल वर्मा हरिभाऊ उपाध्याय रामनारायण चौधरी जमुनालाल बजाज* आदि जुड़े हुए था

 

1931 मैं *जमनालाल बजाज व मेवाड़ के प्रधानमंत्री सुखदेव प्रसाद* के मध्य एक समझौता हुआ लेकिन यह समझौता सफल नहीं हुआ

 

*मेवाड़ के प्रधानमंत्री टी राघवाचारी जी*के प्रयासों से यह आंदोलन *1941* में समाप्त हो गया था

 

*1941* में मेवाड़ के प्रधानमंत्री TV राघवाचार्य ने *राजस्व विभाग के मंत्री डॉक्टर मोहन सिंह मेहता*को बिजोलिया भेज पर *किसानों की मांगे मान* कर उंहें जमीन वापस कर दी गई और इस *आंदोलन को खत्म* किया गया

 

*1897* में बिजोलिया के अधिकांश *धाकड़ जाति*के किसान *गंगाराम धाकड़*की मृत्यु फौज में *गिरधारीपुरा गांव* में इकट्ठे हुए थे

 

*हरियाली अमावस्या* के दिन 1917 में विजय सिंह पथिक द्वारा *उपरमाल पञ्च बोर्ड* की स्थापना की गई थी

 

*1927* से बिजोलिया किसान आंदोलन के मुख्य नेता *माणिक्य लाल वर्मा* थे

 

*अक्षय तृतीया के दिन 1932* को प्रातः 6:00 बजे *4000 किसानों*ने अपनी  *इस्तीफाशुदा* जमीनों पर हल चलाना प्रारंभ किया

 

राजस्थान सेवा संघ द्वारा प्रकाशित *राजस्थान केसरी तथा नवीन राजस्थान* जैसे समाचार पत्रों में *बिजोलिया किसान आंदोलन के समर्थन* में क्रांतिकारी लेख छपे थे

 

1941 में बिजोलिया किसान आंदोलन *जय हिंद एवं वंदे मातरम* के उद्घोष के साथ समाप्त हुआ.

 

अंग्रेजी नियंत्रण से पूर्व *बिजोलिया की विशेष स्थिति* थी यह क्षेत्र *मराठा आक्रमण का सर्वाधिक शिकार*था जब भी मराठा मेवाड़ पर आक्रमण करते थे तो *बिजोलिया ठिकाना पहला शिकार* होता था

 

*1894 मेरा गोविंद दास*की मृत्यु के उपरांत *किशन सिह* ठिकानेदार बनाओ जिसने किसानों के प्रति *नीति तथा जागीर के प्रबंधन* में परिवर्तन किया

 

किसानों के *लाग के विरोध* से घबराकर *राव किशन सिह ने चँवरी लाग माफ* कर दिया इस विजय ने किसानों के *भावी असहयोग अहिंसात्मक आंदोलन* की आधारशिला रखी

 

*पृथ्वी सिहं बिजोलिया का स्थाई निवासी नहीं* था इसलिए उसका बिजोलिया के किसानो के साथ कोई लगाव नहीं था और इस कारण उसने किसानों के साथ *निर्दयता पूर्वक व्यवहार किया और विभिन्न प्रकार के कर* लगाए पृथ्वी सिह *कामां (भरतपुर)* से बिजोलिया

आया था इसका बिजोलिया के साथ कोई *परंपरागत संबंध* नहीं था

 

*1919 में कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन* में बिजोलिया किसान आंदोलन संबंधित प्रस्ताव *बी जी तिलक* द्वारा रखा गया था किंतु *महात्मा गांधी व मदन मोहन मालवीय*के हस्तक्षेप के पश्चात यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया

 

बिजोलिया का *शुद्ध नाम विजयावल्ली* था

 

बिजोलिया का *क्षेत्रफल* लगभग *100 वर्ग मील* था

 

बिजोलिया *उदयपुर राज्य* की *अ श्रेणी*की जागीर में से एक था

 

बिजोलिया ठिकाने में *आंदोलन का मुख्य मुद्दा भू राजस्व निर्धारण और संग्रह की पद्धति*थी इस कार्य हेतु *लाटा एवं कुँता* पद्धति मुख्यतः प्रचलित थी

 

बिजोलिया आंदोलन *भारत वर्ष का प्रथम व्यापक और शक्तिशाली* किसान आंदोलन था

 

बिजोलिया आंदोलन को *तीन चरणों में विभाजित* किया गया था

🌱प्रथम चरण *1897 से 1915 तक रावकृष्ण सिंह “”चँवरी कर””*

🌱1913 में बिजोलिया ठीकाने में *अकाल* पड़ा था

 

🌱द्वितीय चरण *1916 से 1922 तक विजय सिंह पथिक*

 

🌱बिजोलिया के *द्वितीय चरण* में *बारीसल* गांव में *किसान पंचायत बोर्ड* की स्थापना की गई पथिक*

 

🌱तृतीय चरण *1923 से 1941* तक *माणिक्य लाल वर्मा और रामनारायण चौधरी*

 

🌱बिजोलिया आंदोलन के *तृतीय चरण* में *माणिक्य लाल वर्मा* द्वारा *1938 में मेवाड में प्रजामंडल*की स्थापना की गई थी

 

बिजोलिया ठीकाने का संस्थापक *अशोक परमार*का मूल निवास स्थान *जगनेर (भरतपुर)* था

 

पृथ्वी सिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र *केसरसिह* के नाबालिक होने के कारण मेवाड़ सरकार ने ठिकाने पर *मुरसमात (कोटऑफ वार्ड्स)*कायम कर दी

 

*1907* में प्रसिद्ध क्रांतिकारी *शचिंद्र सान्याल और रासबिहारी बोस* के संपर्क में आने के बाद *भूपसिहं (विजयसिह पथिक)* ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया

 

इस आंदोलन के समय *माणिक्य लाल वर्मा जी* द्वारा रचित *पंछीड़ा गीत* गाया जाने लगा  राजस्थान सेवा संघ के नेतृत्व में 8 अक्टूबर 1921 को बिना कूंता किसानों ने फसल काट ली थी

 

*जनवरी 1927*में मेवाड़ के *बंदोबस्त अधिकारी श्री ट्रेंस*बिजोलिया आए थे

 

*1913 बिजोलिया ठिकाने में अकाल* पड़ा था *साधु सीताराम दास, ब्रम्हा देव और फतहलाल चारण* के नेतृत्व में 1000 किसान राव से मिलने उनके घर गए पर *राव*ने मिलने से मना कर दिया इस कारण किसानो ने *जागीर की भूमि पर हल नहीं*चलाया

बल्कि *मेवाड़ की खालसा भूमि, ग्वालियर तथा बूंदी रियासत की भूमि*किराए पर ले कर उस पर हल चलाया *इस कारण*बिजोलिया जागीर में *अकाल*पड़ा था

 

बिजोलिया में सूखा पड़ने के बावजूद भी *प्रथम विश्व युद्ध*के लिए किसानों से *वारफण्ड का चंदा* वसूला जा रहा था जिसके कारण किसानों में *असंतोष भडका*इसके इसलिए विजय सिंह पथिक ने इस *आंदोलन का नेतृत्व (भाग)* किया

 

*24 नवंबर 1931* को बिजोलिया के किसानों ने *उमाजी का खेरा*की सभा में एक प्रस्ताव पारित किया यदि उन की  *असिंचित भूमि उन्हें वापस* मिल जाती है तो वह *मेवाड़ के प्रजामंडल के आंदोलन*में भाग नहीं लेंगे इसलिए *मेवाड़ सरकार* ने किसानों को

*प्रजा मंडल के आंदोलन से दूर*रखने के लिए उनके *समझौते को स्वीकार* कर लिया पर *अगले 2 वर्ष तक* किसानो को कोई राहत नहीं दी गई

 

 

🌿बेगू किसान आंदोलन🌿*

🌱बेगूँ आंदोलन *बिजोलिया किसान आंदोलन* की देन है

🌱बिजोलिया किसान आंदोलन से प्रोत्साहित होकर *बेगू के किसानों* ने भी अत्याधिक *लाग,बाग, बैठ बेगार एवं लगान*के विरोध में आंदोलन करने का निर्णय लिया

 

🌱 *बेगूँ किसान आंदोलन*की शुरुआत *1921 में मेनाल (भीलवाडा) के भेरु कुंड* नामक स्थान से हुई थी

 

🌱इस आंदोलन का *नेतृत्व श्रीराम नारायण चौधरी* ने किया था

 

🌱बेगू भी मेवाड़ रियासत का *प्रथम श्रेणी* का ठिकाना था

🌱वर्तमान में *बेगू चित्तौड़गढ़ जिले*में स्थित है

 

🌱बेगू किसानों ने अपने *जागीरदार के विरुद्ध*आंदोलन शुरू किया था

 

🌱 ठाकुर *अनूप सिंह के द्वारा लगान में वृद्धि*किए जाने के विरोध में आंदोलन किया गया था

 

🌱बेगू आंदोलन की *धाकड़ जाति के किसानों* द्वारा किया गया था

 

🌱 किसानों ने *श्री रामनारायण चौधरी के नेतृत्व*में निर्णय किया कि *फसल का कूँता* नहीं कराया जाएगा

 

*🌱सरकारी कार्यालयों और अदालतो* का बहिष्कार किया जाएगा

 

*मई 1921* में बेगूँ ठीकाने के कर्मचारियों ने *चांदखेड़ी* नामक स्थान पर सभा में किसानों पर *अमानुषिक व्यवहार* किया

 

🌱2 वर्षों के संघर्ष के बाद *1923 में बेगू के किसानों और ठाकुर अनूप सिंह* के मध्य *समझोता* हो गया

 

🌱मेवाड़ के महाराजा ने इस समझौते को *बोल्शेविक*की संज्ञा दी

 

🌱 बोल्शेविक एक *रूसी शब्द* है इसका अर्थ *बहुमत*होता है

 

🌱इस आंदोलन के लिए *ट्रेंच आयोग का गठन* किया गया था लेकिन ट्रेंच आयोग ने *बिना जांच के* ही रिपोर्ट पेश कर दी थी

 

🌱इस *ट्रेच आयोग का (जांच का)*किसानो ने *बहिष्कार* किया

 

*🌱1923 में पारसोली (भीलवाड़ा)* नामक गांव में ठाकुर अनूप सिंह मैं किसानों की मांगों को स्वीकार कर लिया था

 

*🌱13 जुलाई 1923* में किसानों ने स्थिति की पूर्नसमीक्षा के लिए *गोविंदपुरा गांव* में एक आम सभा का आयोजन किया गया

 

🌱इस *अहिंसक आम सभा*पर *13 July 1923 ट्रेंच* के आदेशानुसार लाठी चार्ज कर *गोलियां* चलाई गई

 

🌱इस गोलीबारी में *रूपा जी व कृपा जी* नामक *दो किसान शहीद*हुए

 

🌱इस *अमानवीय कृत्य*की निंदा राष्ट्रीय स्तर तक हुई

 

🌱इस घटना के बाद इस आंदोलन का *नेतृत्व विजय सिंह पथिक* जी ने स्वयं संभाला

 

🌱आंदोलन के कारण बन रहे दबाव के फलस्वरुप *बंदोबस्त व्यवस्था लागू* करके *लगान की दरें कम* की गई और अधिकांश लागें वापस ली गई व *बेगार प्रथा*को समाप्त किया गया

 

🌱विजय सिंह पथिक जी को *10 सितंबर 1923*को गिरफ्तार किया गया *साढे 3 वर्ष* के कारावास और *15000 के आर्थिक* जुर्माने से दंडित किया गया

 

🌱पथिक जी की *गिरफ्तारी के बाद* ही आंदोलन समाप्त हो गया

 

🌱बेगू किसान आंदोलन को दबा दिया गया लेकिन इस आंदोलन से *किसानों व जनता में राष्ट्रीय चेतना*की दृष्टि से और अधिक *जाग्रति* है

 

🌱किसानों ने *विजय सिह पथिक को आंदोलन का नेतृत्व* करने के लिए आमंत्रित किया था

 

🌱पथिक जी द्वारा *राजस्थान सेवा संघ के मंत्री राम नारायण चौधरी*को बेगू आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया था

 

🌱बेगूँ आन्दोलन जैसा *अत्याचार धंगडमउ, भंडावरी* में भी हुआ था

 

🌱मेवाड रियासत के *पारसोली, काछोला गॉव* में भी किसानों ने *भ्रष्टाचार के विरोध* आंदोलन किया था

 

*🌿बूंदी किसान आंदोलन🌿*

*📕1926-1943📕*

 

🌴बूंदी किसान आंदोलन की शुरुआत *1926 में पंडित नयनू राम * के नेतृत्व में हुई थी

 

🌴बूंदी किसान आंदोलन लगभग *17 सालों* तक चला था

 

*🌴बूंदी किसान* आंदोलन मुख्यत: *””राज्य””प्रशासन* के विरोध था

 

🌴बूंदी किसान आंदोलन को *बरड किसान आंदोलन* के नाम से भी जाना जाता है

 

🌴बरड आंदोलन की *शुरुआत 1922-25* के मध्य हुई थी

 

🌴बरड *डाबी के आसपास* के क्षेत्र हैं

 

🌴बूंदी के दक्षिण पश्चिम में *मेवाड़ राज्य को स्पर्श करने वाला क्षेत्र भी*बरड के नाम से जाना जाता है

 

🌴बरड क्षेत्र में *सर्वप्रथम अगस्त 1920*में *साधु सीताराम दास*द्वारा *डाबी में किसान पंचायत* की स्थापना की गई थी

 

🌴राजपुरा के *हरला भड़क* को किसान पंचायत का *पहला अध्यक्ष* बनाया गया था

 

🌴बूंदी का किसान आंदोलन *बिजोलिया किसान आंदोलन* से प्रभावित व *राजस्थान सेवा संघ* से प्रोत्साहित था

 

*🌴राजस्थान सेवा संघ* के प्रोत्साहन के कारण परिणाम स्वरुप बूंदी के किसानों ने *सर्वप्रथम 1922*में *बूंदी सरकार के विरुद्ध* आंदोलन प्रारंभ किया

 

🌴बूंदी रियासत का *बरड* किसान आंदोलन *राजस्थान सेवा संघ*के कार्यकर्ता *भवर लाल सोनी/सुनार*के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ था

 

*🌴29 मई 1922 को लंबाखोह* नामक गांव में एक सभा आयोजित हुई थी

 

🌴जिसमें लगभग *1000 किसान* पहुचे थे

 

🌴दूसरे दिन *30 मई 1922*को *निमाना में 4000 से 5000* के बीच किसान स्त्रियों सहित पहुंचे थे

 

🌴निमाना सभा में *राजस्थान सेवा संघ* के कार्यकर्ता बिजोलिया निवासी *भवरलाल सुनार “”प्रज्ञाचक्षु””*को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था

 

🌴विजय सिंह पथिक ने इस आंदोलन का समर्थन किया था

 

🌴बिजोलिया पद्धति पर *किसान पंचायत*का गठन किया गया बरड आंदोलन का संचालन *राजस्थान सेवा संघ*ने किया था

 

🌴 इस आंदोलन में लगभग *संपूर्ण बरड क्षेत्र में कर बंदी अभियान* का श्रीगणेश किया था

 

🌴मई 1922 में बूँदी सरकार द्वारा *आर.बी.मदनमोहन लाल तथा महाराजा हरि नाथ सिंह* को किसानों की मांगों की जांच के लिए भेजा गया था

 

*🌴13 जून 1922* को सरकारी टुकड़ी ने *राजपुरा ,नरौली और लंबाखोह से 17 व्यक्तियों*को गिरफ्तार किया था

 

🌴इन 17 व्यक्तियों को *गणेशपुरा गांव* में *महिलाओ*ं के एक दल ने मुक्त करवाने का प्रयास किया था इस *मुठभेड़ में 14 महिलाएं* गंभीर रुप से *घायल* हुई थी

 

 

🌴राजस्थान सेवा संघ द्वारा इस घटना की जांच के लिए *रामनारायण चौधरी और सत्याभगत* को भेजा गया था

 

🌴 महिलाओं के साथ हुई *मुठभेड़ की जांच रिपोर्ट के आधार* पर राजस्थान सेवा संघ ने *बूंदी राज्य में महिलाओं पर अत्याचार नामक पुस्तिका* प्रकाशित की थी

 

🌴 ब्रिटिश सरकार द्वारा *अक्टूबर 1922* में ब्रिटिश सरकार की सेवा से निवृत *स्वरूप नारायण और संयुक्त प्रांत के पुलिस अधीक्षक इकराम हुसैन* को बूंदी भेजा गया था

 

🌴 *दिसंबर 1922*में रियासत ने उन समस्त व्यक्तियों की *जागीरें तथा संपत्ति जप्त* करने के आदेश दिए थे *जो किसानों की सहायता* कर रहे थे

 

🌴जब किसानों की *संपत्ति और जागीरें जब्त*की जा रही थी इस अवधि में *जागीरदार रणवीर सिह* का सक्रिय सहयोग था

 

*🌀💎डाबी हत्याकांड💎🌀*

🌴 *डाबी एवं गराडा में 28 जुलाई 3 अगस्त 1922* की सभाओं में किसानों ने यह निर्णय किया था कि वह *राज्य के आदेश की अवहेलना*करेंगे और भुगतान करने पर भी राज्य *कर्मचारियों को खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं*कराएंगे

 

🌴इस आंदोलन की चरम परिणति *2 अप्रैल 1923*को *डाबी में एक अप्रिय घटना* के रूप में हुई.

 

*🌴2 अप्रैल 1923*को डाबी में *किसान सभा* का आयोजन किया गया था

 

🌴इस सभा में राजस्थान सेवा संघ के प्रतिनिधि *हरिभाई कीकर तथा भवन लाल स्वर्णकार प्रज्ञाचक्षु*ने भी भाग लिया था

 

🌴सभा में सर्वप्रथम *नानक देव ने विजयसिह पथिक द्वारा रचित झंडा गीत* गाया था

 

🌴इस सभा की अध्यक्षता *नयनूराम *ने की थी

 

🌴 इस सभा में *निर्णय* लिया गया था कि किसी भी प्रकार का *राजस्व* नहीं दिया जाए और किसी भी राज्य *अधिकारी* को किसी भी प्रकार का *सहयोग प्रदान ना* किया जाए

 

🌴 इसी सभा के दौरान *बूंदी के पुलिस अधीक्षक इकराम हुसैन* द्वारा बिना किसी चेतावनी के गोली चलाने का आदेश दिया गया

 

🌴इस गोली कांड में *2 अप्रैल 1923* को *नानक भील और देवा गुर्जर नामक किसान* मारे गए

 

🌴 नानक भील विजय सिह पथिक के साथ *झंडा गीत गाते*हुए शहीद हुए

 

🌴 इस अवसर पर *माणिक्य लाल वर्मा* ने उसी समय *नानक भील की याद*में एक गीत *अर्जी शीर्षक* से लिखा था

 

🌴 *नानक भील* राजस्थान का *एक प्रमुख शहीद* कहलाया

 

🌴इस अवसर पर *भवरलाल स्वर्णकार ने भी अर्जी शीर्षक* से लोकगीत सुनाया था

 

*🌴10 मई 1923* को नयनूराम  को *राज्य विरोधी गतिविधियों के आरोप* में गिरफ्तार कर लिया गया और *4 वर्ष के कारावास* की सजा दी गई और रिहा होने के के बाद *राज्य में प्रवेश निषेध* कर दिया गया

 

🌴1925 में बूंदी में किसान आंदोलन में *केवल याचिका प्रस्तुत करने का स्वरूप*धारण कर लिया था

 

🌴किसानों की ओर से यह याचिकाएँ *राजस्थान सेवा संघ* प्रस्तुत कर रहा था

 

🌴याचीकाएँ प्रस्तुत करने के उपरांत *नयनूराम  को राजस्थान सेवा संघ की हाडौती* शाखा का अध्यक्ष बना कर उसका *मुख्यावास कोटा*रखा गया

 

*🌴1926* के उपरांत *राजस्थान सेवा संघ की गतिविधिया*संपूर्ण राजस्थान में कमजोर पड़ने लगी

 

*🌴1927*के बाद राजस्थान सेवा संघ ही *अंतर्विरोधों*के कारण *बंद*हो गया था

 

🌴राजस्थान सेवा संघ के साथ ही *बूंदी के बरड क्षेत्र का किसान आंदोलन* समाप्त हो गया था

 

🌴इस आंदोलन में महिलाओं के साथ *दुर्व्यवहार*भी किया गया था

 

🌴बरड किसान आंदोलन में *महिलाओं ने भी उत्साह* से भाग लिया था

 

🌀💎गूजरों का आंदोलन🌀💎*

*📕1936-45📕*

🌴यह आंदोलन *गुर्जर समुदाय* के लोगो द्वारा किया गया

 

🌴गुर्जर समुदाय के लोगों में अनेक *कष्टदायक करों व राज्य द्वारा उनके सामाजिक मामलों में हस्तक्षेप* को लेकर आक्रोश व्याप्त था

 

*🌴1936 में बरड क्षेत्र* में पुन:आंदोलन प्रारंभ हो गया

 

🌴 *21 अक्टूबर 1936*को बूँदी सरकार ने *अपराध कानून संशोधन अधिनियम 1936* पारित किया था

 

*🌴1936* में बूँदी सरकार द्वारा *मृत्युभोज पर कानूनी पाबंदी* लगा दी गई थी

 

🌴 *पशु की गिनती की सरकारी कार्रवाई*ने गुर्जरो के मन में आकांक्षा उत्पन्न कर दी थी कि उनके ऊपर *चराई कर*लगाया जा सकता है

 

*🌴भारी राजस्व की दर व गैर कानूनी लागों* के विरोधी भी थे गुर्जर

 

🌴 गुर्जर राज्य की *कृषि विस्तार नीति*के विरोधी थे क्योंकि *अधिक भूमि जोत* में आने से *पशु चराने के लिए कम भूमि*उपलब्ध रहने की संभावना है

 

🌴इन सभी कारणों से *5 अक्टूबर 1936 को हिंडोली*में *हुडेश्वर महादेव* के मंदिर पर *गुर्जर मीणा और अन्य पशुपालको व किसानों*की एक सभा हुई

 

🌴जिसमें *90 गांवों के लगभग 500 व्यक्ति*सम्मिलित हुए थे

 

🌴सभा के पटेलों ने अपना एक *मांग पत्र तैयार कर हिंडोली के तहसीलदार* के समक्ष प्रस्तुत किया

 

🌴उनकी मांग पत्र के *मुख्य बिंदु,चराई करो को समाप्त करना/कम करना, पशुपालको की सहूलियते*उपलब्ध कराना था

 

🌴बूंदी के दीवान *7 नवंबर 1936* को एक आयोग नियुक्त किया

 

🌴जिसमें *राज्य कौंसिल के न्याय राजस्व व गृह सदस्य* को सम्मिलित किया गया था

 

🌴इस आयोग को *हिंडोली के गुर्जर किसानों की शिकायतों*की जांच का दायित्व सौंपा गया था

 

🌴1939 में *गुर्जरों का आंदोलन लाखेरी* से प्रारंभ हुआ था

 

*🌴3 सितंबर 1939* को *40 गांव के लगभग 150 गुर्जरों*ने लाखेरी में *तोरण की बावरी* पर एक सभा की थी

 

🌴जिसका नेतृत्व *भवरलाल जमादार एक राज्य कर्मचारी गोवर्धन चौकीदार सीमेंट फैक्ट्री के कर्मचारी रामनिवास तंबोली* ने किया था

 

*🌴1943 में पुन:हिन्डोली क्षेत्र*मे गुर्जर आन्दोलन प्रारम्भ किया गया

 

*🌴 5 Jan 1943 को 60 गॉवो*के गुर्जर ने के महाराजा के समक्ष ज्ञापन भेजा था

 

*🌴11 अक्टूबर 1943* को बूंदी के दीवान ने इस मुद्दे पर निर्णय लेते हुए अधिसूचना जारी की कि *शुल्क मुक्त चराई की छूट किसान की जोत के  अनुपात में प्रदान* की जाएगी

 

🌴इस आन्दोलन का *मुख्य उद्देश्य चराई कर*था

🌴 *1945 के अंत तक बूंदी आंदोलन* खत्म हो गया

 

*🌿अलवर  आंदोलन🌿*

🍁अलवर रियासत में *जन जागृति का प्रारंभ किसान आंदोलन*को ही माना जाता है अलवर में *80% भूमि खालसा* के अंतर्गत थी जबकि केवल *10% भूमि जागीरदारों*के नियंत्रण में थी

 

🍁यह एकमात्र *किसान आंदोलन था जो खालसा क्षेत्र*में चलाया गया था

 

🍁अलवर, भरतपुर के अधिकांश किसानों को *खालसा क्षेत्रों में स्थाई भू स्वामित्व* के अधिकार प्राप्त थे जिन्हे *विश्वे्दारी*कहते थे

 

 

🍁अलवर-भरतपुर में भू-राजस्व की सबसे *बदतर पद्धति इजारा* प्रचलित थी ब्रिटिश पद्धति पर अलवर में पहला भूमि बंदोबस्त 1876 में किया गया था

 

🍁अलवर में *दो बार*आंदोलन हुआ था

🎍 *पहला आंदोलन 1921* में हुआ था

🎍दूसरा आंदोलन *1923-24*में हुआ था

 

🍁अलवर के शासक *जयसिंह* द्वारा *जंगली सूअरों*को मारने पर *प्रतिबंध*लगाने के कारण *1921 में अलवर* में आंदोलन किया गया था

 

🍁अलवर रियासत में *जंगली सुअरों को अनाज खिलाकर रोधो*में पाला जाता था

 

🍁यह सूअर किसानों की *खड़ी फसल को बर्बाद*कर देते थे और इसके बदले किसानों को *कोई मुआवजा नहीं*मिलता था

 

🍁किसानों ने परेशान होकर *1921 में सूअर मारने की अनुमति*के लिए यह आंदोलन प्रारंभ किया था

 

🍁महाराजा को *किसानों की बात को मानना*पड़ा और *सूअर पालने के रोधों* को समाप्त कर दिया गया और *किसानों को सूअर मारने की अनुमति*प्रदान की गई

 

*🍁दूसरा आंदोलन 1923-24* में *भू-राजस्व में भारी वृद्धि* के कारण *नीमूचाणा* अलवर में शुरू हुआ था

 

 

*🌱नीमूचाणा हत्याकांड🌱*

🍁अलवर रियासत में 1924 में *भूमि बंदोबस्त* हुआ था

 

🍁लगान की दरों को *पुनः मूल्यांकन* कर लगान की दरों में *40% की वृद्धि* कर दी गई

 

🍁इस कारण *भू राजस्व में भारी वृद्धि* हो गई

 

🍁राजपूत किसानों को *पूर्व में प्राप्त रियासतों*को समाप्त कर दिया गया

 

*🍁भूमि लगान वृद्धि तथा राजपूत किसानों की रियासतों*की समाप्ति के खिलाफ *खालसा क्षेत्र के राजपूत* किसानों ने *1924* में आंदोलन की शुरुआत की

 

🍁इस आंदोलन का *नेतृत्व माधोसिह और गोविंद सिंह* ने किया था

 

🍁इस आंदोलन का *मुख्य केंद्र नीमूचाणा* था

 

🍁अलवर के किसानों ने *1925 में दिल्ली* में एक सभा आयोजित की गई थी जिसमें *200 राजपूत किसानो*ं ने भाग लिया

 

🍁यहीं से *पुकार नामक पुस्तिका* में *किसानों की समस्याओं को प्रकाशित* किया गया था

 

🍁अलवर के महाराजा ने इस मामले की जांच हेतु *7 मई 1925* को एक आयोग गठित किया था

 

🍁अलवर के किसान अपनी *समस्याओं*को लेकर *नीमूचाणा* नामक स्थान पर एकत्रित हुए थे

 

🍁इसी स्थान पर *14 मई 1925* को *छाजू सिंह नामक अंग्रेजी कमांडर*द्वारा सभा में *गोलियां चलाई*गई और पूरे गांव को जला दिया गया घटना में *सैकडो किसान मारे* गए थे

 

🍁इस घटना को *इतिहास में नीमूचाणा हत्याकांड* के नाम से जाना जाता है नीमूचाणा हत्याकांड की देशभर में आलोचना की गई

 

*🍁महात्मा गांधी* ने इसे *जलियांवाला बाग हत्याकांड* की घटना बताते हुए इसे *दोहरी डायरशाही* कहा था

 

🍁 *राजस्थान सेवा संघ*ने इस मामले में जांच की तथा इस जाचँ की पूरी कहानी *31 मई 1925* को *तरूण राजस्थान* के अंक में प्रकाशित की गई थी

 

🍁इस घटना की जाचँ से *अजमेर के रामनारायण चौधरी* भी जुड़े हुए थे

 

*🍁देसी राज्य* के इतिहास में इस घटना का वही *महत्व* है जो भारत में *जलियांवाला बाग हत्याकांड* का है

 

🍁इस हत्याकांड का असली खलनायक *गोपाल दास*नामक *पंजाबी अधिकारी* को माना जाता है

 

🍁अलवर *नरेश जयसिंह*स्वयं नीमूचाणा आये और  मारे गए लोगों के परिवार को *मुआवजा*दिया गया और

*🍁18 नवंबर 1925* को पुरानी दर से लगान वसूलने के आदेश दिए गए

 

🍁इन आंदोलनों ने ही *प्रजामंडल आंदोलन*के लिए जमीन तैयार की थी

 

*सीता देवी*

🍃अलवर रियासत के नीमूचाणा के *किसान रघुनाथ की बेटी*थी

 

🍃सीतादेवी ने *अलवर किसान आंदोलन* में भाग लिया था

 

🍃अंग्रेजों द्वारा *नीमूचाणा गांव* में किसानों पर गोलियां बरसाने के समय *सीता देवी ने किसानों को ललकारा* था

🍃सीता देवी ने “”किसानों से कहा”” कि *हम किसी भी हालत में ठिकानों को अधिक लगान नहीं देंगे*

 

नीमूचाणा हत्याकांड अलवर नरेश *जयसिंह प्रजापालक को बदनाम* करने के लिए रचा था क्योकी *अंग्रेज*जयसिंह को *पसंद नही*ं करते थे

 

*जवाहरलाल नेहरु ने महाराजा जयसिंह* के लिए कहा था अगर *यह युवक राज परिवार में जन्म ना लेकर किसी सामान्य वर्ग में जन्म लेता* तो भारतवर्ष को एक बड़ा *नेता*प्राप्त होता

 

*🌿भरतपुर किसान आंदोलन🌿*

 

🍁भरतपूर राज्य में किसानों की *दशा अच्छी*थी

🍁भरतपुर में *95% भूमि सीधे राज्य के नियंत्रण* में थी

 

*🍁5% भूमि राज्य से अनुदान* प्राप्त छोटे *जागीरदारों को माफीदारों*के पास थी

 

🍁भरतपुर रियासत में *5 जातियां ब्राह्मण जाट गुर्जर अहीर व मेव*सामान्य हैसियत रखते थे

 

🍁भरतपुर राज्य में *खालसा भूमि* के अंतर्गत *लंबरदार व पटेल व्यवस्था* अस्तित्व मान थी

 

🍁इसके अंतर्गत लंबरदार व पटेल *भू राजस्व* की वसूली के लिए जिम्मेदार थे

 

🍁भरतपुर राज्य में *1931 में नया भूमि बंदोबस्त लागू* किया गया इस नए भूमि बंदोबस्त के कारण *भू राजस्व में वृद्धि* हो गई

 

*🍁भू राजस्व अधिकारी लंबरदारों*ने इस बढेे हुए *भू राजस्व* के विरोध में *1931*में आंदोलन शुरु किया

 

🍁नये *बंदोबस्त*से किसानों में असंतोष व अशांति उत्पन्न कर दी

 

🍁लंबरदार व पटेलों को *भू राजस्व वसूली* में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था

 

🍁इस कारण *लंबरदार एवं पटेल*बढ़े हुए *राजस्व के मुददे के विरुद्ध लड़ने के लिए आगे आए*

 

🍁 *23 नंबर 1931* को *भोजी लंबरदार* के नेतृत्व में 500 किसान *भरतपुर*में एकत्रित हुए

 

 

*🍁भोजी लंबरदार* ने राज्य के *विरोध भड़काऊ भाषण* देने के कारण *भोजी लंबरदार को नवम्बर मे गिरफ्तार* कर लिया गया

 

*🍁भोजी लंबरदार की गिरफ्तारी के साथ 1931*में ही यह *आंदोलन समाप्त* हो गया

 

*🌿अलवर भरतपुर मेव आंदोलन🌿*

 

*🍁हिंदू धर्म से परिवर्तित* मुसलमान किसान मेव कहलाते  हैं

 

🍁अलवर मे *मेव जाति*का *पहला आंदोलन 1921*में प्रारंभ हुआ था

 

🍁मेवो ने प्रारम्भ से ही *गुरिल्ला युद्ध* आरंभ कर दिया था

 

🍁अलवर भरतपुर क्षेत्र को *मेवाती क्षेत्र*करते हैं

 

🍁अलवर भरतपुर में आंदोलन की शुरुआत *1932* में हुई थी

 

🍁इस आंदोलन का *नेतृत्व डॉक्टर मोहम्मद अली*ने किया था

 

🍁अलवर भरतपुर रियासत के *मेव किसानो*ं ने बड़ी हुई *lagaan देने से इंकार* कर दिया

 

🍁मेवो ने *बांध व सड़क बनाने घास काटने संघो की सफाई करने और बेगार समाप्त*करने की मांगों के लिए आंदोलन किया था

 

🍁अलवर के मेव किसान आंदोलन का नेतृत्व *गुडगांव के मेव नेता चौधरी यासिन खान* द्वारा किया गया था

 

🍁इतिहासकारों के अनुसार *यह आंदोलन कालांतर में सांप्रदायिक प्रभाव*में भी आ गया था

 

🍁अलवर भरतपुर क्षेत्र मे *मोहम्मद हादी ने1932 में अंजुमन खादिमुल इस्लाम नामक संस्था* स्थापित की थी

 

🍁इस संस्था ने मेव किसानों को *संगठित* किया और मेव जाति के लोगों में *जन जागृति लाने*का कार्य किया

 

🍁चौधरी यासीन खान के नेतृत्व में मेव लोगों ने *खरीफ फसल का लगान देना बंद* कर दिया

 

🍁 *अंजुमन खादिमुल इस्लाम संस्था*ने अलवर के महाराजा से *उर्दू की शिक्षा के प्रसार, मुसलमानों के लिए पृथक शिक्षण संस्थाओ की स्थापना और मस्जिदों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त*करने की मांग की थी

 

🍁 *दिसंबर 1932* में अलवर रियासत में मेव किसानों की *आर्थिक परेशानी की जांच* के लिए एक समिति का गठन किया

 

🍁मेव किसानों ने इस *समिति का बहिष्कार* किया

 

🍁 मेवो ने *1933 में गोविंदगढ़*में सरकारी सेना पर आक्रमण कर दिया

 

🍁 मेवो को संतुष्ट करने के लिए *राज्य काँन्सिल* में एक मुस्लिम सदस्य *खान बहादुर काजी अजीजुद्दीन बिलग्रामी* को सम्मिलित कर लिया था

 

🍁 खान बहादुर काजी अजीजुद्दीन बिलग्रामी को सम्मिलित करने के बाद भी *आंदोलन खत्म नहीं*हुआ बल्कि और *उग्र*हो गया

 

🍁 1933 में सेना ने नगर तहसील के *सोमलाकला व झीतरहेडी गांव* को घेरकर बलपूर्वक राजस्व वसूल कर *बंदी अभियान* को कुचल दिया

 

🍁 राजस्व  व पुलिस प्रशासन हेतु *ब्रिटिश अधिकारी*नियुक्त कर दिए गए *मई 1933 में महाराजा जयसिंह* को गद्दी से हटाकर राज्य से निर्वासित कर दिया गया

 

🍁1933 में राज्य द्वारा *भू राजस्व संबंधी छूटों*के बाद विद्रोह दब गया

 

🍁खरीफ के लगान में *25%* और रबी के लगान *50%* की छूट प्रदान की गई

 

🍁भरतपुर राज्य के मेवो ने भी *1933 में लगान देना बंद* कर दिया पर *दमन के कारण* आंदोलन असफल रहा

 

*🍁1934* में मेवो को सुविधा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा *अजीजुद्दीन बिलग्रामी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन* किया गया

 

🍁 इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर *मेवो को भू-राजस्व तथा अन्य करो में छूट के साथ-साथ सामाजिक व धार्मिक समस्याओं का समाधान* भी किया गया

 

 

 

🌿राजस्थान किसान आंदोलन🌿*#part_2

*🌿बीकानेर किसान आंदोलन🌿*

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🎋सिंचाई सुविधा हेतु *1929 में नहरी क्षेत्र के जमीदार संघ* द्वारा यह आंदोलन शुरू किया गया था

 

🎋सरकार द्वारा  किसानों से पूर्ण *आबियाना {सिंचाई कर}*वसूल किया जा रहा था लेकिन *पूर्ण जल उपलब्ध* नहीं करवाया जा रहा था 19 अप्रैल 1929 में जमीदार एसोसिएशन का गठन किया गया *

 

🎋दरबार सिह* को जमींदार एसोसिएशन का *अध्यक्ष*नियुक्त किया गया

 

🎋इस *(जमीदार एसोसिएशन) संगठन के निर्माण के साथ ही क्षेत्र के किसानों ने आंदोलन*किया था सबसे पहले

 

*🎋10 मई 1929* को श्री गंगानगर में आयोजित *जमींदार एसोसिएशन की बैठक में अपनी समस्याओं* का एक मांग पत्र तैयार किया गया था

 

🎋जमीदार एसोसिएशन *1929 से आरंभ होकर 1947*तक अपने सदस्यों के हितो को पूरा करती  है और इसकी *गतिविधिया संवैधानिक को शांतिपूर्ण* थी

 

*🎋1934*में किसानों ने *जागीरदारों द्वारा लगाई गई लागतों के विरोध* बीकानेर के *महाराजा गंगा सिंह* को एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया

 

🎋प्रार्थना पत्र में निवेदन किया कि जब तक उनकी *मांगों को नहीं माना* जाएगा तब तक वह *लगान नहीं देंगे*

 

🎋मांग पत्र के आधार पर *1934 में जाट किसानों*ने *लागे*देना बंद कर दिया

 

*🎋महाराजा गंगासिह*ने लगान नहीं देने को *घोर अपराध*घोषित कर दिया था और इस अपराध की *जमानत भी नहीं*दी जा सकती थी

 

🎋दमनचक्र चलाकर किसानों की *निजी संपत्ति जप्त* कर ली गई *

 

🎋1937 में उदासर*के किसानों के समर्थन में *बिकानेर प्रजामंडल*ने आवाज उठाई और *बेगार*को समाप्त करने की मांग की

 

🎋किसान आंदोलन की शुरुआत *सर्वप्रथम 1937 में उदासर* के किसानों ने की थी

 

🎋 यहां के *किसान नेता जीवन चौधरी* ने बीकानेर किसानों की समस्याएं *महाराजा और अन्य अधिकारियों*के समक्ष प्रस्तुत की थी पर इसका कोई *परिणाम नहीं* निकला

 

🎋यह आंदोलन *जातिवाद से मुक्त*था

 

🎋जागीरदार लगभग *37  प्रकार की लाग-बाग* किसानों से लेते थे

 

🎋बिकानेर में मूल रूप से *लाग बाग व बेगार के विरोध*में किसान आंदोलन आरंभ हुआ था

 

🎋बीकानेर के किसानों की *68.7% भूमि सामंतो* के अधिकार में थी जिन्हें *ठिकाना अथवा जागीर* कहा जाता था

 

*🌀💎महाजन ठिकाने का किसान आंदोलन💎🌀*

*🎋महाजन*बीकानेर राज्य का *प्रथम श्रेणी*का ठिकाना था

 

🎋महाजन ठिकाने को *विशेष प्रशासनिक अधिकार*प्राप्त थे

 

🎋महाजन के किसानों ने *दीवान (प्रधानमंत्री)*को शिकायत की कि भूराजस्व तथा चराई की दरें *खालसा क्षेत्र*के समान निश्चित की जाए

 

🎋किसानों की समस्या के संदर्भ में *बिकानेर राज्य की ओर से कोई विशेष प्रगति* नहीं हुई

 

🎋बीकानेर सरकार ने *बकाया राशि में छूट* की घोषणा की

 

🎋इस कारण *दिसंबर 1942*के अंत तक *महाजन ठिकाने का किसान आंदोलन* को लेकर शांत हो गया

 

 

*🌀💎दूधवाखारा किसान आंदोलन💎🌀*

*🎋दूधवाखारा* किसान आंदोलन *बीकानेर रियासत* में चलाया गया था

 

🎋वर्तमान में *दूधवाखारा चूरु जिले*में स्थित है

 

🎋दूधवाखारा के जागीरदार *सूरजमल के अत्याचार* के विरोध में *हनुमान सिह और मद्याराम वैद्य* के नेतृत्व में यह आंदोलन चलाया गया

 

*🎋सूरजमल* ने *हनुमान सिह को अनुपगढ किले*में कैद कर लिया था

 

🎋 *हनुमान सिह* ने अनूपगढ़ किले में *65 दिनों*तक भूख हड़ताल की थी

 

*🎋1944*में यहां के जागीरदारों ने बकाया राशि के भुगतान का बहाना कर अनेक किसानों को उनकी *जोत से बेदखल* कर दिया गया था

 

*🎋चौधरी हनुमान सिंह के नेतृत्व*में किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल *2 जून 1945*को *माउंट आबू में महाराजा सार्दुल सिंह*से मिला था

 

🎋हनुमान सिंह को *रतनगढ़*में गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध *राजद्रोह* का मुकदमा चलाया गया था

 

*🎋4 जनवरी 1948*को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था

 

🎋बीकानेर के किसान आंदोलन के इतिहास में दूधवाखारा का किसान आंदोलन सबसे *अधिक महत्वपूर्ण और निर्णायक* अन्त था

 

🎋दूधवाखारा आंदोलन में *कहीं महिलाओं*ने भाग लिया था

 

🎋दूधवाखारा किसान आंदोलन में *महिलाओं का नेतृत्व खेतु बाई*ने किया था

 

 

*🌀🌀बीकानेर राज्य प्रजा परिषद के नेतृत्व में किसान आंदोलन💎🌀*

🎋बीकानेर प्रजा परिषद के नेतृत्व में *दूसरा किसान आंदोलन रायसिंहनगर की घटना* को लेकर हुआ था

 

*🎋1 जुलाई 1946* को प्रजा  परिषद् के नेतृत्व में *रायसिहनगर* में एक *जुलूस* निकल रहा था

 

🎋इस जुलूस को *पुलिस व सेना के बल* पर इसे कुचलने की नाकाम कोशिश की गई थी

 

🎋इस सैनिक कार्यवाही में *एक कार्यकर्ता बीरबल सिंह*की मृत्यु हो गई थी

 

🎋प्रजा परिषद ने *6 जुलाई 1946* को संपूर्ण बीकानेर राज्य में *किसान दिवस* मनाया था

 

*🌀💎कांगड काण्ड💎🌀*

🎋बीकानेर के किसान आंदोलन के इतिहास की *अंतिम व महत्वपूर्ण घटना कांगड़ कांड (रतनगढ)* थी

 

🎋यह आंदोलन *जागीरदारों के अत्याचारों* से उपजा *स्वस्फूर्त* किसान आंदोलन था

 

*🎋1946* मे खरीब की *फसल नष्ट* होने के कारण *अकाल* की स्थिति पैदा हो गई थी

 

🎋अकाल पड़ने के बाद भी *1946* में किसानों से कर वसूली का प्रयास किया गया था

 

🎋जिसके कारण किसानों ने *आंदोलन* किया

 

🎋कांगड़ के लगभग *35 किसान महाराजा*को याचिका प्रस्तुत करने *बिकानेर* पहुंचे

 

🎋जागीरदारों के आदमियों ने उस गांव के किसानों के साथ *खुलकर लूटपाट की पुरुष महिला और बच्चों*को गढ में ले जाया गया जहां पर उनके साथ *अमानवीय अत्याचार*किए गए

 

*🎋1948* में बिकानेर में *उत्तरदायी शासन* की स्थापना हुई

 

*🎋30 मार्च 1949* को बीकानेर राज्य के *राजस्थान* में विलय के साथ ही बिकानेर में *राजतंत्र व सामंतवाद* को *अंतिम रूप से विदा*कर दिया गया था

 

🎋 इस कार्य में *किसान आंदोलनों की निर्णायक* भूमिका रही

 

*🍁20 फरवरी 1944* को अलवर में *स्वतंत्रता दिवस* मनाया गया

 

*🍁5 फरवरी 1947*को *भरतपुर में प्रजा परिषद* के नेतृत्व में *बैगार विरोधी दिवस* मनाया गया

 

: *🌿मारवाड़ किसान आंदोलन🌿*

मारवाड़ *राजस्थान का सबसे बड़ा राज्य* था

 

इसके अंतर्गत संपूर्ण राजस्थान का *36 प्रतिशत भू-भाग* था

 

मारवाड़ राज्य की *राजधानी जोधपुर शहर*थी

 

जोधपुर राज्य का *87 प्रतिशत भाग*जागीरों के अंतर्गत था केवल *13 प्रतिशत भाग*ही राज्य के सीधे नियंत्रण में था

 

मारवाड़ के किसान *अंग्रेज महाराजा और जागीरदारों के तिहरे शोषण*का  शिकार थे

 

मारवाड़ में *जनचेतना का प्रारंभ* *1915* से माना जाता है *

 

मारवाड़*में *1915 में मरुधर मित्र हितकारिणी सभा* का गठन किया गया था इस सभा को ही *मारवाड़ में जनचेतना का आधार* माना गया

 

*जय नारायण व्यास प्रथम व्यक्ति* थे जिन्होंने *मारवाड़ में शासकों* के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई थी

 

जय नारायण व्यास के निर्देशन में *1920 में चांदमल सुराज* के द्वारा *मारवाड़ सेवा संघ* की स्थापना की गई थी इस को ही बदल कर *1924 में मारवाड़ हितकारिणी सभा* बना दिया गया

 

मारवाड़ के किसान आंदोलन अधिकांशत: *मारवाड़ हितकारिणी सभा* के नेतृत्व में ही हुए थे

 

मारवाड़ हितकारिणी सभा ने *जयनारायण व्यास* के नेतृत्व में *मादा पशुओं* के राज्य से *बाहर भेजने*के मुद्दे पर आंदोलन किया था

 

आंदोलन के फलस्वरुप *मादा पशुओं के निर्यात पर प्रतिबंध*लगा दिया गया था

 

मारवाड़ हितकारिणी सभा ने उस समय *प्रचलित 136* प्रकार की *लागे व बेगार प्रथा*से किसानों को मुक्ति दिलाने हेतु पुन: आंदोलन चलाया गया

 

मारवाड़ में *1915 में मरुधर मित्र हितकारिणी सभा* नामक *प्रथम* राजनीतिक संगठन की स्थापना हुई

 

इस संगठन का *उद्देश्य* मारवाड़ की जनता के *सामाजिक व आर्थिक हितों*की सुरक्षा करना था

 

मारवाड़ के आदिवासियों ने *मोतीलाल तेजावत* द्वारा शुरू किए गए *एकी आंदोलन* में भाग लिया था

 

*1921 में मारवाड़ सेवा संघ* नाम का *दूसरा*राजनीतिक संगठन स्थापित हुआ

 

इस संघ का कार्य क्षेत्र *अधिक विस्तृत* था

 

मारवाड़ राज्य के *बाली एवं गोडवान निजामतों के भीलो और गरासियों ने 1922* में समाज सुधार गतिविधियों के साथ-साथ राज्य को *राजस्व*अदा न करने हेतु आंदोलन किया

 

सैनिक प्रयासों से *भील और गरासिया* *एकी आंदोलन* से अलग हो गए और *उपयुक्त कर देने* पर सहमत हो गए थे

 

इस कारण इस आंदोलन को *सामंतवाद के विरोध संघर्ष का अगुवा* कहा जाता था

 

इस आंदोलन में जोधपुर राज्य में *दासता से मुक्ति की ज्योति* जलाई

 

*1923*में *मारवाड़ हितकारिणी सभा* स्थापित हुई

 

इस सभा में *जयनारायण व्यास के नेतृत्व में पशु निर्यात नीति*को रद्द करने हेतु आंदोलन चलाया था

 

मारवाड़ हितकारी सभा के नेतृत्व में *15 जुलाई 1924*को जोधपुर शहर में जनसभा का आयोजन हुआ

अपनी मांगे मनवाने के लिए *राज्य पर दबाव* बनाया गया

 

दबाव को देखते हुए राज्य ने *15 अगस्त 1924* को इनकी मांग स्वीकार कर ली

 

*किसानों ओर जनता* का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से सभा ने *दो पुस्तिकाएं ➖ पोपाबाई की पोल एवं मारवाड़ की अवस्था* प्रकाशित की थी

 

मारवाड़ हितकारिणी सभा ने *11 और 12 अक्टूबर 1929* को जोधपुर में *मारवाड़ स्टेट पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का पहला अधिवेशन*आयोजित करने का निर्णय लिया

 

*1924* में राज्य के समर्थन से *राजभक्त देश हितकारी सभा* स्थापित की गई

 

इस सभा का *उद्देश्य मारवाड़ हितकारिणी सभा*के कार्यक्रमों की *खिलाफत* करना था

 

मारवाड़ स्टेट पिपुल्स कांफ्रेंस का *प्रथम सम्मेलन नवंबर 1931 में पुष्कर* में आयोजित हुआ था

 

इस सम्मेलन की *अध्यक्षता चांद करण शारदा*के द्वारा की गई *

 

l1934में जोधपुर प्रजामंडल*की स्थापना *श्री भवरलाल सर्राफ*के द्वारा  हुई

 

*1936 में सिविल लिबर्टीज यूनियन*नामक संगठन की स्थापना हुई

 

*1937*में इन *दोनों को गैरकानूनी* घोषित कर दिया गया

 

*फरवरी 1938* में *मारवाड़ लोक परिषद*नामक नए संगठन की स्थापना *श्री रणछोड़दास गट्टानी* द्वारा हुई

 

*1938-39* में जोधपुर में *भयंकर सूखा*पड़ा था

 

*फरवरी 1939* में *जयनारायण व्यास के जोधपुर प्रवेश* पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया था

 

मारवाड़ लोक परिषद ने *तीन मुद्दों* पर आधारित एक *शक्तिशाली आंदोलन*प्रारंभ करने का निर्णय लिया था

1⃣अकाल की स्थिति तथा *राज्य की अकाल* राहत नीति

 

2⃣दितीय विश्व युद्ध के समय राज्य द्वारा *अंग्रेजो को सैनिक सहायता* उपलब्ध करवाने के साथ साथ *युद्ध कोष के लिए भारी अनुदान* दिया जाना

 

3⃣जागीरी क्षेत्रों में *बेगार तथा लालबाग* का विरोध

 

सरकार ने *28 मार्च 1940* को *मारवाड़ लोक परिषद को गैरकानूनी घोषित*कर दिया और परिषद के नेताओं को गिरफ्तार किया गया

 

आंदोलन के बढ़ते दबाव के कारण *जून 1940* में परिषद पर से प्रतिबंध हटा दिया गया और *नेताओं को मुक्त*कर दिया गया

 

*मार्च 1941* में मारवाड़ लोक परिषद ने *जागीरदार विरोधी अभियान* प्रारंभ किया

 

इस अभियान के तहत *परिषद*ने जागीरों में रहने गरीब *किसानों व जनता के गैरकानूनी तरीके से होने वाले शोषण* का विरोध प्रारंभ किया

 

 

: *🌀💎मंडोर किसान आंदोलन💎🌀*

 

*1921-26*के दौरान *खालसा भूमि के बंदोबस्त के पश्चात*भू राजस्व की *नगद* भुगतान की व्यवस्था की गई थी

 

इस *नगद भुगतान*की  *व्यवस्था* को *बीघोडी*के नाम से जाना जाता था

 

इस पद्धति में निर्धारित राज्य की *दरें लाटा पद्धति*से भी अधिक थी

 

*1928* में *खालसा क्षेत्रों*में भूराजस्व की *नई दरें लागू*की गई थी

 

नई दरों के कारण किसानों पर भूराजस्व का *भार अत्यधिक बढ़* गया था

 

*8 जुलाई 1932* को मंडोर के समीप *चीना का बढ़िया* नामक स्थान पर किसानों ने एक सभा आयोजित की

 

यह सभा *माली किसानों*के द्वारा की गई थी

 

इस सभा में निर्णय लिया कि *नगदी राजस्व पद्धति के तहत 50% छूट* के लिए सरकार से निवेदन करेंगे

 

किसानों ने *14 से 18 जुलाई 1931*के दौरान राजस्व अधिकारियों के पास विनती पत्र भेजे थे

 

किंतु राजस्व अधिकारियों द्वारा *विनती पत्र पर कोई ध्यान नहीं*दिया गया इसके परिणाम स्वरुप किसानों ने विभिन्न गांव में सभाएं आयोजित की

 

इन सभाओं में *निर्णय लिया* गया कि यदि कोई *राज्य को राजस्व* देगा तो उसे *जाति से बहिष्कृत* कर दिया जाएगा

 

इस कारण *मंडोर व उसके आसपास के माली किसानों* द्वारा *अघोषित कर बंदी आंदोलन* प्रारंभ किया

 

राज्य ने *मंडोर चेनपुरा गवांन,बेगान* आदि गांवों के कुल राजस्व में *2597 रुपए*की छूट प्रदान की गई

 

राज्य द्वारा दी गई इस छूट को *अघोषित कर बंदी आंदोलन की आंशिक सफलता*माना जा सकता है

 

*26 जनवरी 1930* को *चूरू के धर्मस्तूप शिखर*पर *चंदन मल बहड, स्वामी गोपालदास*वह अन्य साथियों ने *तिरंगा झंडा*फहराया था

 

*🌀💎मारवाड़ स्टेट पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के तहत आंदोलन 1931💎🌀*

*मारवाड स्टेट पीपुल्स कॉन्फ्रेंस* के गठन ने *जोधपुर राज्य* में किसान आंदोलन के *नए युग का शुभारंभ* किया

 

इस कांफ्रेंस का *प्रथम सम्मेलन 24- 25 नवंबर 1931 को चांदकरण शारदा*की अध्यक्षता में *अजमेर के निकट पुष्कर*  में आयोजित हुआ था

 

यह संगठन *प्रजामंडल* का ही *प्रारंभिक* रूप था

 

इसी सभा के आयोजन के संबंध में *1929*में *जयनारायण व्यास ,आनंद राज सुराणा, भवरलाल सर्राफ*को गिरफ्तार किया गया था

 

अध्यक्ष *चांदकरण शारदा* ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जोधपुर महाराजा से *बेगार लाल-बाग, समाचार पत्रों पर रोक*समाप्त करने हेतु निवेदन किया

 

इस सम्मेलन में *किसानों से संबंधित* निम्न *प्रस्ताव*पास किए गए थे

*🌱बेगार*प्रथा तुरंत समाप्त की जाए

🌱किसानों के *कल्याण हेतु*एक समिति गठित की जाए

🌱सभी जागीरदारों को उनकी *निहित शक्तियों से वंचित* किया जाए

*🌱बीघोडी पद्धति*के अंतर्गत बड़े हुए राजस्व को कम किया जाए

🌱किसानों को *भू राजस्व प्रदान* किया जाए

 

इन प्रस्तावों को *कार्यान्वित* करने की जिम्मेदारी *मारवाड़ हितकारिणी सभा* ने ली थी

 

*दिसंबर 1931* के प्रथम सप्ताह में भारी संख्या में किसान *मारवाड़ हितकारिणी सभा के नेतृत्व*में जोधपुर में एकत्रित हुए थे

 

*1931* में *मारवाड यूथ लिंग*नामक संगठन स्थापित हुआ था

 

किसानों ने पुन: *9 फरवरी से 2 मार्च 1932* के दौरान मांग पत्र प्रस्तुत किए

 

*🌀💎मारवाड़ लोक परिषद् के नेतृत्व में आंदोलन💎🌀*

*1936* में *जवाहरलाल नेहरू*ने अखिल भारतीय राज्य प्रजा परिषद के *पांचवें सत्र (सम्मेलन)*को संबोधित किया था

 

इस सम्मेलन को *कांग्रेस की नीति में परिवर्तन* का आरंभ कहा गया

 

नेहरू ने अपने संबोधन में *जनसंपर्क* पर अधिक बल दिया

 

इस संबोधन के कारण *पहली बार इस सत्र में कृषकों के संबंध*में एक कार्यक्रम तैयार करते हुए “”भू राजस्व में एक तिहाई की कमी””,ऋणों को कम करने*और कश्मीर, अलवर, सीकर ,लोहारू की घटनाओं के संदर्भ, में किसानों की समस्याओं के संदर्भ में जांच करने

की मांग की गई थी

 

जय नारायण व्यास को *जोधपुर में राजनीतिक चेतना का जनक* कहा गया था

 

मारवाड़ लोक परिषद में *जागीरदारों के विरुद्ध* अभियान छोड दिया था

 

सितंबर 1939 में *दितीय विश्व युद्ध*आरंभ हो गया था

 

द्वितीय विश्व युद्ध में राज्य द्वारा *अंग्रेजो को सैनिक सहायता और युद्ध कोश लिए भारी अनुदान* दिया जा रहा था

 

इसका विरोध मारवाड़ लोक परिषद ने *एक आंदोलन* के रुप में किया

 

जयनारायण व्यास ने *गैर-कानूनी लागे शीर्षक*से दो भागों में एक पुस्तिका प्रकाशित की थी

 

मारवाड़ लोक परिषद् द्वारा किया गया *लाग विरोधी आंदोलन* जो की *जोधपुर राज्य की सभी जागीर गांव*में फेल गया था

 

इस लाग  विरोधी आंदोलन से जागीरदारों ने भयभीत होकर *15 अप्रैल 1941*को एक गुप्त सभा करके *लोक परिषद*के विरुद्ध एक संगठन बनाया

 

यह संगठन *जागीरदार सभा* नाम से बना

 

इस प्रकार *जागीदार सभा संगठन 1941*में अस्तित्व में आया

 

*1935* में स्थापित *राजपूत समाज सभा*नामक जातिय संगठन भी *जागीरदारों*के बचाव में आया था

 

 

*🌀💎मारवाड़ किसान सभा 1941💎🌀*

*22 मार्च 1941* को *मारवाड़ किसान सभा* का अस्तित्व स्थापित किया गया

 

मारवाड़ किसान सभा की स्थापना *किसानों के उद्देश्य को हानि पहुंचाने* हेतु सरकार का *दूसरा शरारतपूर्ण कदम* था

 

मारवाड़ किसान सभा के *संगठन कर्ता व संरक्षक बलदेव राम मिर्धा*थे

 

बलदेव राम मिर्धा *जोधपुर राज्य की पुलिस में अधीक्षक* थे और *जाट* समुदाय से संबंधित है

 

यह राज्य के *विनम्र व विश्वसनीय* सेवक थे

 

मारवाड़ किसान सभा का *प्रथम अध्यक्ष मंगल सिंह कच्छावा*को बनाया गया था

 

मंगल सिंह कच्छावा *व्यवसाय से ठेकेदार* था

 

मारवाड़ किसान सभा *लाग-बाग,बेगार,लटाई पद्धति*के विरुद्ध था

 

प्रारम्भ में मारवाड़ किसान सभा ने *मारवाड़ लोक परिषद की कार्यशैली*का विरोध किया था जागीर द्वारा

जागीरदारों द्वारा किसानों का ही नहीं बल्कि *मारवाड़ लोक परिषद् के नेताओं व कार्यकर्ताओं*का भी अपमान किया

 

इस प्रकार *जागीर गांव में आतंक* स्थापित हो गया था

 

धीरे धीरे किसान सभा लोक परिषद की इस बात से *सहमत* हो गई थी की किसानों की समस्याओं के लिए *उत्तरदायी शासन की स्थापना*की आवश्यकता है

 

*🌀💎जाट समाज सुधारक संघ 1938💎🌀*

*जाट कृषक सुधारक संघ* की स्थापना *1931*में हुई थी

 

*नागौर परगने*के जाट किसानों ने *जाट कृषक सुधारक संघ*के नेतृत्व में कार्य किया था

 

जाट कृषक सुधारक संघ एक *समाज सुधारक संगठन* था

 

यह संगठन जाट समुदाय में *उनके उत्थान हेतु*कार्य कर रहा था 19 सितंबर 1941 को जाट कृषक सुधारक सभा ने राजस्व को समाप्त कर के *लाग-बाग ,बेगार* समाप्त करने और जागीरदारों को उनकी *निरंकुश शक्तियो*से वंचित करने की मांग की गई थी

 

*1942* में *जाट-राजपूत* संघर्ष आरंभ हुआ था

 

*1942 में जोधपुर राज्य* का किसान आंदोलन *एक नए युग*में प्रवेश कर चुका था

 

*🌀💎मारवाड़ लोक परिषद और चंडावल कांड 1942💎🌀*

*जोधपुर राज्य*में किसान आंदोलन का संचालन करने हेतु मारवाड़ लोक परिषद एक *प्रमुख संस्था* बन गई थी

 

*मारवाड़ लोक परिषद* का प्रमुख उद्देश्य *जोधपुर राज्य में जिम्मेदार सरकार* स्थापित करना था

 

*8 फरवरी 1942* को मारवाड़ लोक परिषद् का *खुला अधिवेशन लाडनू*में आयोजित हुआ था

 

इस अधिवेशन में जागीरों के किसानों की *समस्याओं* पर खुलकर चर्चा हुई ओर जागीर क्षेत्रों में किसानो पर हो रहे *अत्याचारों*की कड़ी निंदा की गई

 

*रणछोड़दास गट्टानी* ने अपने अध्यक्षी उदबोधन में *समसामिकी स्थितियो का मूल्यांकन व विश्लेषण* किया फतनपुर अत्याचार की चरम परिणति चंडावल की दुखद घटना के रूप में है

 

परिषद द्वारा *28 मार्च 1942* को संपूर्ण मारवाड़ रियासत में *उत्तरदायी सरकार दिवस* मनाया जा रहा था

 

चंडावल *सोजत परगने के अंतर्गत*एक जागीर गांव  में 28 मार्च 1942*को *चंडावल* में बहुत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एकत्रित हुए थे

 

इस आयोजन से *चंदावल का जागीरदार* अत्याधिक बौखला गया था

 

क्रोधित जागीरदारों ने *लोक परिषद के कार्यकर्ताओं* पर आक्रमण करवा दिया

 

ठिकानों के लोगों ने परिषद के कार्यकर्ता पर *लाठियां-भालों*से हमला किया था

 

आक्रमण में *परिषद के 25 कार्यकर्ता* घायल हुए थे

 

*28 मार्च 1942* को *नीमाज,गून्दोज,रोडू,धामली, मीठडी* ठिकानों में में भी *चंडावल* के समान घटनाएं हुई थी

 

*रोडू के जागीरदार* ने वहां के लोक परिषद के कार्यकर्ता *चौधरी उमाराम को तंग करने*के लिए उस पर कई मुकदमे

 

*10 मई 1942 के हरिजन*अंक में *महात्मा गांधी* ने जागीर क्षेत्रों में घटी हुई घटना की निंदा की

 

*मई 1942 से मई 1944*तक मारवाड़ लोक परिषद की गतिविधिया *जोधपुर शहर* तक सीमित थी

 

*🌀💎मारवाड़ किसान सभा का अखिल भारतीय सम्मेलन जोधपुर 1945💎🌀*

 

मारवाड़ किसान सभा मई *1942* से काफी सक्रिय हो गई थी

 

यह सभा *महाराजा के प्रति वफादार* थी जिस वजह से यह *आंदोलन* को पूरी तरह से *सफल नहीं*बना पाई

 

मारवाड़ किसान सभा ने *25 सितंबर 1945*को जोधपुर में किसान सम्मेलन का आयोजन किया था

 

इस सम्मेलन में *पंजाब के चौधरी छोटूराम जाट*नेता ने भी भाग लिया था

 

उस समय चौधरी छोटूराम *उत्तरी भारत के प्रमुख जाट नेता* थे

किसान सभा का यह सम्मेलन व्यर्थ ही गया

 

*🌀💎चंद्रावल और डाबड़ा कांड 1947💎🌀*

मारवाड़ के *सोजत परगने*  के *चंद्रावल गांव में 1945*में मारवाड़ लोक परिषद के कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण एक सम्मेलन किया था

 

इस सम्मेलन मे *मारवाड़ लोक परिषद*के कार्यकर्ताओं पर *लाठीया और भालों*से हमला किया गया जिसमें अनेक लोग घायल हो गए थे

 

किसानों पर जागीरदारों का *अत्याचार और दमन* दिनों दिन बढ़ता जा रहा था

 

इस कारण *जनवरी 1946*में किसान सभा की नीति में परिवर्तन आया

 

*जनवरी 1946*में *किसान सभा व लोक परिषद* ने *उत्तरदायी शासन* की स्थापना के लिए *संयुक्त अभियान* प्रारंभ किया

 

*13मार्च 1947* को *डीडवाना परगना के डाबरा नामक गांव में मारवाड़ लोक परिषद व किसान सभा* ने एक सयुक्त सम्मेलन आयोजित किया था

 

सम्मेलन की कार्यवाही आरंभ होते ही जागीरदारों ने इस सम्मेलन के *नेताओं और कार्यकर्ताओं को लाठियों व घातक हथियारो*ं से निर्दयतापूर्वक पीटा गया

 

इस गांव के किसानों के *घरों को लूट कर जला* दिया गया

 

महिलाओं के साथ *दुर्व्यवहार और बलात्कार* किया गया इस घटना मे *12 लोग मारे*गए और सैकड़ों घायल हुए

 

नेताओं को बंदी बनाकर *रावले*में ले जाया गया

इन्हें *मोलासर के सेठ डूंगरजी*के हस्तक्षेप के बाद मुक्त किया गया

उपरोक्त घटना ने संपूर्ण राज्य में *विरोधी आंदोलन* को और अधिक तीव्र कर दिया

 

इस हत्याकांड की पूरे देश में *समाचार पत्रों*में निंदा की गयी

 

*मुंबई के वंदे मातरम जयपुर के लोकवाणी जोधपुर के प्रजा सेवक और दिल्ली के हिंदुस्तान टाइम्स* ने इस घटना की निंदा की थी

 

भारत सरकार के *राज्य सचिव वी पी मेनन 28 फरवरी 1948 को जोधपुर* आए

 

उन्होंने *महाराजा व आंदोलनकारियो*के बीच मध्यस्थता कर महाराजा को *उत्तरदायी सरकार* की स्थापना के लिए राजी कर लिया

 

*6 अप्रैल 1949*को *(जोधपुर राज्य के 30 मार्च 1949 को राजस्थान में विलय के पश्चात)मारवाड़ टेनेंसी एक्ट* पारित हुआ

 

इसके द्वारा किसानो को उनकी *जोतों खातेदारी अधिकार*प्रदान कर दिए गए

 

इस प्रकार मारवाड़ के लंबे संघर्ष के बाद *किसानों का आंदोलन सफलता* के साथ संपन्न हुआ🍃

 

🍃डाबड़ा आंदोलन *देश के स्वतंत्र* होने तक चलता रहा

🍃डाबरा सम्मेलन के *मुख्य आयोजक मथुरादास माथुर*थे

 

चुन्नी लाल  रुघाराम चौधरी रामाराम चौधरी पन्नाराम चौधरी* डाबरा किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए थे

 

🍃मारवाड़ लोक परिषद *किसान आंदोलन की जननी*थी

 

*🍃जेतारण बिलाड़ा व सोजत* के जागीरदारों ने *लोक परिषद*के कार्यकर्ताओं को *अपने क्षेत्र में मीटिंग ना* करने देने का निर्णय लिया था

 

पन्नाराम चौधरी व उसके पुत्रो मोतीराम*को लोक परिषद व किसान सभा के नेताओं को *शरण देने के कारण मार* दिया गया

 

डाबड़ा*के मुख्य आयोजन *मथुरादास माथुर*ने डाबड़ा की घटना के लिए कहा कि ➖ *◯◯◯◯◯आधी शताब्दी तक राजनैतिक जीवन मे रहते हुए जब भी पीछे मुड़कर देखता हूं तो सबसे अधिक झकझोरने वाली घटना डाबरा* की ही लगती है जून 1948 को जय नारायण

व्यास के नेतृत्व में मारवाड़ में मंत्रिमंडल बना

 

डावडा* वर्तमान में *नागौर जिले*में है

 

🍃डाबड़ा आंदोलन *देश के स्वतंत्र* होने तक चलता रहा

 

🍃डाबरा सम्मेलन के *मुख्य आयोजक मथुरादास माथुर*थे

 

*🍃चुन्नी लाल  रुघाराम चौधरी रामाराम चौधरी पन्नाराम चौधरी* डाबरा किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए थे

 

🍃मारवाड़ लोक परिषद *किसान आंदोलन की जननी*थी

 

*🍃जेतारण बिलाड़ा व सोजत* के जागीरदारों ने *लोक परिषद*के कार्यकर्ताओं को *अपने क्षेत्र में मीटिंग ना* करने देने का निर्णय लिया था

 

*🍃पन्नाराम चौधरी व उसके पुत्रो मोतीराम*को लोक परिषद व किसान सभा के नेताओं को *शरण देने के कारण मार* दिया गया

 

*🍃डाबड़ा*के मुख्य आयोजन *मथुरादास माथुर*ने डाबड़ा की घटना के लिए कहा कि ➖ *◯आधी शताब्दी तक राजनैतिक जीवन मे रहते हुए जब भी पीछे मुड़कर देखता हूं तो सबसे अधिक झकझोरने वाली घटना डाबरा* की ही लगती है

 

*🍃जून 1948* को *जय नारायण व्यास* के नेतृत्व में *मारवाड़ में मंत्रिमंडल* बनाया गया

 

🍃डाबडा आंदोलन में *जागीरदारों की ओर से महताबसिह* मारा गया था

 

🍃डाबरा में सम्मेलन आयोजित करने वालों पर *जागीरदार ने मुकदमा* चलवाया

 

🍃इनमें *जय नारायण व्यास और आनंदाराज सुराना*के विरुद्ध बगावत का मुकदमा चला

 

*माप तोल आंदोलन*

➖ जोधपुर रियासत में *100 सैर को 80 तोले में परिवर्तन*करने पर *1920-21* मे इसका विरोध किया गया इस आंदोलन का नेतृत्व *चांदमल सुराणा* ने किया

 

 

 

🌿राजस्थान किसान आंदोलन🌿*#part_3*

 

*🌿शेखावाटी किसान आंदोलन*🌿

🌸सीकर झुंझुनू चिड़ावा कटराथल किसान आंदोलन जयसिंहपुरा हत्याकांड खुड़ी गांव की घटना कुदन हत्याकांड पलथाना आदि को *शेखावाटी किसान आंदोलन* के रूप में जाना जाता है

 

*🌸जयपुर राज्य* में किसान आंदोलन मुख्यत: *आर्थिक शोषण*के विरुद्ध था

 

*🌸रामनारायण चौधरी* ने शेखावाटी में *किसान जागरण* का कार्य आरंभ किया था

 

*🌸चिडावा सेवा समिति* ने *1921* में शेखावाटी में *जन संघर्ष*आरंभ किया था

 

🌸शेखावाटी के *किसान आंदोलन तीन चरणों*में हुए थे

🌸पहला चरण *1922 से 1930* सीकर

🌸द्वितीय चरण *1931 से 1938* पलथाना कटराथल गोठड़ा और कुंदन गांव *यह सब शेखावाटी किसान आंदोलन के प्रमुख केंद्र*थे

🌸तीसरा चरण *1938से 1947* तक जयपुर राज्य प्रजामंडल की स्थापना

 

🌸शेखावाटी में किसान आंदोलन का प्रारंभ *सीकर ठिकाने*से माना जाता है

 

🌸रामनारायण चौधरी ने *तरुण राजस्थान* समाचार पत्र में शेखावाटी किसान आंदोलन के समर्थन से *एक क्रांतिकारी लेख लिखकर*जागृति उत्पन्न कि थी

 

🌸रामनारायण चौधरी ने लंदन से प्रकाशित *डेलीहेराल्ड*नामक पत्र में भी शेखावाटी किसानों के *किसानों की समस्याओं के समर्थन* में लेख लिखे थे

 

*🌸1925* के बाद शेखावाटी के *मंडावा डूँडलोद बिसाऊ नवलगढ*  के किसानों ने भी आंदोलन प्रारम्भ किया

 

🌸शेखावाटी किसानों में किसान आंदोलन का केंद्र *1931 में मंडावा* बनता जा रहा था

 

*🌸फरवरी 1932 में बसंत पंचमी* के मौके पर *झुंझुनू*में आयोजित *अखिल भारतीय जाट महासभा का तीसरा अधिवेशन* किसान आंदोलन में *नए युग का सूत्रपात* कर गया

 

*🌸जनवरी 1924* में सीकर में जाट महायज्ञ के आयोजन के अवसर पर *हाथी* के प्रश्न पर  *ठिकानेदार से मतभेद* उत्पन्न हुए थे

 

*🌸शेखावाटी किसान आंदोलन*का निर्णय चरण *1931* में प्रारंभ हुआ था

 

*🌸कर्मवीर व हरिजन*अखबार ने *खुड़ी व कुंदन के नरसंहार* की आलोचना की थी

 

 

*🌀💎सीकर किसान आंदोलन💎🌀*

*🌸शेखावाटी किसान आंदोलन*का आरंभ *सीकर आंदोलन* से माना जाता है

 

*🌸1921* में शेखावाटी क्षेत्र की *चिड़ावा सेवा समिति*द्वारा *सरकारी दमन व अत्याचार*के विरुद्ध आंदोलन शुरु किया गया

 

🌸इस समिति ने *शराबबंदी और विदेशी वस्तुओं*के बहिष्कार पर जोर दिया था

 

*🌸1922*में माधव सिंह की मृत्यु के बाद उसका *भतीजा कल्याण सिह*सीकर का ठिकानेदार बना था

 

🌸कल्याण सिह ने *करों* में अत्यधिक वृद्धि कर दी थी

 

🌸कल्याण सिह के द्वारा *करो में वृद्धि के विरोध* में किसानों ने *लगान देना बंद*कर दिया और *आंदोलन* किया

 

🌸सीकर *जयपुर रियासत*का भाग था

 

🌸राजस्थान सेवा संघ के नेता *रामनारायण चौधरी ने 1922* में बिजोलिया समझौते के उपरांत *सीकर* को अपना कार्य क्षेत्र बना लिया था

 

🌸रामनारायण चौधरी ने *तरुण राजस्थान पत्र*की सहायता से सीकर के किसानों के पक्ष में *प्रभावी वातावरण*  तैयार किया

 

🌸इस आंदोलन का *नेतृत्व ठाकुर देशराज* द्वारा किया गया था

 

🌸ठाकुर देशराज ने *राजस्थान जाट महासभा* का गठन किया था

 

🌸रामनारायण चौधरी ने लंदन से प्रकाशित होने वाले *डेलीहेराल्ड समाचार पत्र*में भी सीकर *किसानों की समस्याओं*से संबंधित लेख लिखें

 

*🌸इंग्लैंड*में *सीकर के किसानो*ं के  समर्थन में *वातावरण तैयार*करने का महत्वपूर्ण कार्य किया

 

*🌸रामनारायण चौधरी*के प्रयासों से मई *1925*मे *हाउस ऑफ कामन्स*के सदस्य *पेथिक लॉरेंस* ने सीकर के किसानों के मामले में प्रश्न पूछा था

 

🌸इस प्रकार *कुदन गांव हत्याकांड* इतना विभत्स था की *सीकर किसान आंदोलन* का मामला न केवल *भारत की सेंट्रल असेंबली* में उठा बल्कि यह *इंग्लैंड के *हाउस ऑफ कॉमंस*में भी उठा था

 

🌸किसान आंदोलन के दबाव के कारण ही *सीकर के रावराजा* ने एक जांच आयोग का गठन *1925*में किया

 

🌸इस आयोग के द्वारा *भूमि की पैमाइश और बंदोबस्त* का कार्य करना था

 

*🌸अक्टूबर 1925* में अखिल भारतीय जाट महासभा का *अधिवेशन पुष्कर* में आयोजित किया गया था

 

🌸इस सम्मेलन की अध्यक्षता *भरतपुर के महाराजा कृष्ण सिंह* ने की थी

 

🌸इस सम्मेलन के द्वारा जाटो में *नवीन उत्साह तथा  नईं शक्ति*का संचार हुआ

 

🌸अखिल भारतीय जाट महासभा के सहयोग और सहायता से *1931* में सीकर के जाटों ने *राजस्थान जाट क्षेत्रीय सभा* की स्थापना की इस सभा के द्वारा *सामन्ती जुल्मों अत्याचारों*का डटकर मुकाबला किया गया

 

🌸जयपुर राज्य कि मध्यस्था से *लगान में कमी व भूमि बंदोवस्त करने*पर आंदोलन समाप्त हुआ

 

*🌸1934* में सीकर में जाटों में *जन जागृति* के लिए एक *महायज्ञ*का आयोजन किया गया था

 

*🌸ठाकुर देशराज* के सुझाव पर इस यज्ञ का नाम *सीकर जाट प्रजापति महायज्ञ*रखा गया

 

*🌸प्रजापति महायज्ञ*के द्वारा सीकर में *किसान आंदोलन*को तेज किया गया था था

 

🌸 इस यज्ञ के उपरांत *सीकर के जागीरदार*ने जाट नेताओं व किसानों पर भारी अत्याचार किया

 

*🌸मास्टर चंद्रभान ,चौधरी हरि सिंह किसान पंचायत के सहायक मंत्री गोमसिंह* को बंदी बना लिया गया था

 

🌸जाट विद्यालय बंद करवा दिए गए और *पलथाना और पिलानी* के विद्यालयों को गिरा दिया गया

 

🌸इन परिस्थितियों में *ठाकुर देशराज बधाला की ढाणी* में विशाल सभा का आयोजन किया

 

*🌀💎कटराथल किसान आंदोलन💎🌀*

*🌸महात्मा गांधी के 1921* के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर शेखावाटी क्षेत्र में किसान हरलाल सिंह ने किसानों को संगठित करने एवं चेतना जागृत करने हेतु *किसान पंचायतों*का गठन किया गया

 

🌸शेखावाटी क्षेत्र में *पंडित तारकेश्वर  सरदार हरलाल घासी राम चौधरी नेतराम*आदि ने किसान सभा गठित की,सभी ने *किसान सभा गठित* करके पूरे जोर और प्रभावी तरीके से किसानों के पक्ष को रख *किसान आंदोलन को प्रभावी* बनाया

 

*🌸शेखावाटी के ग्राम कटराथल*में अप्रैल 1934 में किसान सभा के नेता *हरलाल की पत्नी किशोरी देवी के नेतृत्व* में हजारों *(10,000)*जाट महिलाओं ने *किसान आंदोलन* में भाग लिया

 

*🌸ठाकुर देशराज* की पत्नी *श्रीमती उतमा देवी* ने भी इस आंदोलन में भाग लिया

 

*🌸श्रीमती उतमा देवी* के ओजस्वी भाषण से *महिलाओं में साहस और निर्भरता का संचार* हुआ

 

*🌸कटराथल* में हुए इस *विशाल महिला सम्मेलन* में शेखावाटी क्षेत्र की जनता में *उत्कृष्ट राजनीतिक चेतना* का संचार किया

 

*🌻प्रथम महिला सम्मेलन कटराथल*

🌻 शेखावाटी के *सीहोट के ठाकुर द्वारा बोसाणा तथा बेसाऊ*  गांव की *महिलाओ*ं के प्रति किए गए *अमानवीय व्यवहार* के विरुद्ध *25 अप्रैल 1934* नामक स्थान पर *श्रीमती किशोरी देवी के नेतृत्व* में एक *विशाल महिला सम्मेलन* का आयोजन किया गया था

 

🌸इस विशाल महिला सम्मेलन की *अध्यक्ष श्रीमती किशोरी देवी* थी

 

🌸इस विशाल सम्मेलन में लगभग *10000 महिलाओं*ने भाग लिया था

 

🌸इस सम्मेलन में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाएं *श्रीमती पुष्पा देवी श्रीमती रमा देवी श्रीमती फूला देवी श्रीमती दुर्गा देवी*आदि थी

 

*🌸16 मई 1934* को *ठाकुर कल्याण सिंह* के आदमियों ने *हनुमानपुरा ग्राम* के जाट किसानों के घरों में आग लगा दी थी

 

*🌀💎जयसिंह पुरा हत्याकांड💎🌀*

 

*🌸21 जून 1934 को डूंडलोद* केे ठाकुर के भाई *ईश्वर सिंह* ने *जयसिंहपुरा में खेत जोत*रहे किसानों पर हमला किया और *अंधाधुंध गोलियां बरसाई*

 

🌸जिसमें *कई किसान मारे गए और कई किसान घायल*हो गए

 

🌸इस *गोली कांड के विरोध*मे संपूर्ण राजपूताना में *जयसिंहपुरा शहीद सप्ताह* मनाया गया

 

*🌸सरदार हरलाल सिंह*ने जयपुर सरकार और राजस्थान किसान पंचायत को इस घटना की विस्तृत जानकारी भेजी

 

🌸 राज्य के *पुलिस महानिरीक्षक एफ.एस यंग* को इस कांड की जांच हेतु भेजा गया

 

*🌸ईश्वर सिंह व उसके साथियो*पर मुकदमा चलाया और उन्हें *डेढ वर्ष*के कारावास की सजा हुई

 

*🌸जयपुर रियासत* में यह प्रथम मुकदमा था जिसमें *जाट किसान हत्यारे को सजा* दिलाने में सफल रहे

 

🌸जयपुर सरकार ने *सीकर ठिकाने के अत्याचारों* को रोकने के लिए एक *अंग्रेज W.T. वेव* को नियुक्त किया गया

 

*🌸वेब*के प्रयासों से ठिकाने व किसानों के मध्य *23 अगस्त 1934* को समझौता किया गया इस समझौते के तहत बहुत से *कर और बेगार*को समाप्त कर दिया गया

 

🌸इस समझौते के द्वारा *सीकर वाटी जाट पंचायत को वैधानिक मान्यता* प्रदान की गई

 

*🌸सार्वजनिक सेवाओं*में जाटों को *समान अवसर* देने का आश्वासन दिया गया

 

🌸लेकिन *समझौते का पालन* ठिकाने द्वारा कभी भी पूर्णतया पालन नहीं किया गया इस कारण *पून: आंदोलन* प्रारंभ हुआ

 

*🌸खुड़ी गांव व कुदन गांव* में *वेब* द्वारा *व्यापक नरसंहार* कराया गया *

 

🌸जयसिंहपुरा*की घटना को *जयसिंहपुरा हत्याकांड* के नाम से जाना जाता है

 

🌸इस हत्याकांड की चर्चा भी *हाउस ऑफ कॉमंन (ब्रिटेन)* में की गई थी

 

🌸यह एक *असफल आंदोलन* था

 

*🌀💎खुड़ी गांव की घटना💎🌀*

*🌸25 मार्च 1935* को *खुड़ी गांव*में ठाकुरों ने किसानों की एक बारात में *दूल्हे को घोड़ी पर बैठकर तोरण मारने*से रोक दिया था

 

🌸ठिकाने द्वारा *अपराधियों को दंडित करने* के स्थान पर *किसानों पर ही अत्याचार*किए गए

 

🌸इस घटना में *रतना चौधरी* का गला काट कर हत्या कर दी गई थी

 

🌸इस कारण *किसानों ने धरना*दिया

 

🌸लेकिन इस धरने में *कैप्टन वेब में किसानों पर लाठीचार्ज*करवा दिया

 

🌸किसानों पर लाठीचार्ज करवाने की घटना में *4 किसान* मारे गए और लगभग *सौ किसान घायल*हुए

 

*🌀💎कूदण हत्याकांड💎🌀*

*🌸कैप्टन वेब* सीकर में *प्रशासनिक नियंत्रण* स्थापित करने में *असफल* रहा

 

🌸इस *असफलता के कारण* वेब ने बोखलाहट में *कूदण गांव में भयंकर लूटपाट की और गोलियां चलवा*दी

 

🌸इस गोली कांड में *तीन व्यक्ति मारे* गए

 

🌸इसके पश्चात *गोठरा व पलथाना गांव* को भी लूटा गया

🌸इन घटनाओं के विरोध में पूरे देश में *26 मई 1935* को *सीकर दिवस*मनाया गया

 

*🌸भारत सरकार* के हस्तक्षेप के उपरांत *1935* में सीकर के जागीरदार ने *किसानों से अंतिम समझौता* किया

 

🌸इस समझौते के तहत *चार लाख से अधिक लगान* की बकाया राशि को माफ कर दिया जाएगा .

 

*🌸1935* के बाद सीकर में किसानों पर *अत्याचार समाप्त* पहो गए और *लगान भी काफी कम* कर दिया गया

 

🌸अंततः *1946*में शेखावाटी सीकर ठिकाने में *भूमि संरक्षण एवं भूमि बंदोबस्त* की प्रक्रिया *प्रारंभ* होने से *शांति*स्थापित हो गई

 

*🌀💎झुंझुनू किसान आंदोलन💎🌀*

*🌸1925*में *पंडित मदन मोहन मालवीय*के मुख्य आतिथ्य में झुंझुनूं में *अखिल भारतीय जाट सम्मेलन* आयोजित हुआ

 

*🌸पंडित मदन मोहन मालवीय जी* के ओजस्वी वक्तव्य से प्रभावित होकर *झुंझुनू में झुंझनु जाट पंचायत की स्थापना*की गई

 

*🌸1932*में झुंझुनू जाट महासभा का *अधिवेशन* हुआ

 

🌸इस अधिवेशन में तय किया गया कि *किसान और नेता* अपने साथ *हथियार रखें* ताकि उन्हें *कमजोर नहीं* समझा जाए

 

🌸इस अधिवेशन तहत लोगों ने *रिवाल्वर बंदूक और बर्छिया* रखना प्रारंभ कर दिया

 

*🌸1938* तक इस क्षेत्र में *हथियारों का प्रदर्शन* करना आम बात बन गई थी 11 मार्च

 

*🌸1931*को *झुंझुनू में वृहत महिला सम्मेलन*बुलाया गया था

 

*🌸1939 में सेठ जमुनालाल बजाज* को *जयपुर की सीमा पर गिरफ्तार* करके उन्हें *आगरा भेज*दिया गया था

 

🌸इसके विरोध में *शेखावाटी क्षेत्र में किसानों*ने विरोध प्रदर्शन किए

 

*🌸झुंझुनू सीकर चोमू*में बड़ी-बड़ी सभाएं की गयी

 

🌸झुंझुनू को *सैनिक छावनी* में बदल दिया गया

 

🌸किसानों के आंदोलन को देखकर *जागीरदारों और ठिकानेदारों*ने किसानों का  *मनोबल तोड़ने*के लिए *जयपुर नरेश के नेतृत्व*में उन्होंने किसानों पर *अत्याचार*किए

 

🌸यदि कोई व्यक्ति *हाथ में तिरंगा* लेकर निकलता तो सिपाही उसे *गोली मार देते या नंगा करके पीटते उल्टा लिटा कर उनपर थूकते और डंडो की बरसात*करते थे

 

🌸इतने अत्याचारों के बाद भी किसान पीछे नहीं हटे *निरंतर विरोध प्रदर्शन*करते गए *गांव-गांव में चंग* बजने लगे जिन पर गाया जाता था *आठ फिरंगी नौ गौरा, लडे जाट का दो छोरा*

 

*🌸15 मार्च 1939*को *झुंझुनू शहर में सरदार हरलाल सिंह* ने गिरफ्तारी दी

 

🌸हरलाल सिंह की गिरफ्तारी से *झुंझुनू पहुंचने वाले सभी मार्गों* पर पुलिस तैनात कर दी गई

 

🌸बड़ी संख्या में लगभग *एक लाख किसान हाथ में झंडा* लेकर झुंझुनू पहुंचे यह सब देखकर

 

🌸झुंझुनू में पुलिस ने *पाशविकता का नंगा नाच*किया

 

🌸पुलिस भूखे *भेडियो* की तरह उन पर टूट पड़ी पुलिस ने इन्हें *पीट पीटकर अधमरा* कर दिया

 

🌸इस आंदोलन में *महिलाओं ने*भी भाग लिया

 

🌸महिलाओं पर भी *लाठियां बरसाई* गई लेकिन महिलाओं ने *पुलिस को झंडे तक नहीं पहुंच* ने दिया

 

🌸 पुलिस ने *आत्मघाती रूप* धारण कर लिया था *लोगों पर घोड़े दौड़ाए* गए

 

🌸झुंझुनू में *रक्त की नदियां* बह निकली

 

🌸जब यह समाचार पूरे देश को मिले तो *पूरा देश स्तब्ध रह* गया

 

🌸इतना होने पर भी *जयपुर नरेश मानसिह*ने अपनी टेक नहीं छोड़ी

 

🌸उसने *29 मार्च 1941* को झुंझुनू का दौरा किया *पंचपाना के सरदारों ने जयपुर नरेश का महानायक* की तरह स्वागत किया

 

*🌸स्वतंत्रता प्राप्ति* के साथ यह *आंदोलन समाप्त* हो सका

 

 

*🌀💎चिड़ावा किसान आंदोलन💎🌀*

🌸सीकर की तरह *शेखावाटी क्षेत्र के अन्य जागीदार*भी किसानों पर अत्याचार कर रहे थे

 

*🌸1922 में मास्टर प्यारेलाल गुप्ता* ने चिड़ावा में *अमर सेवा समिति* की स्थापना की

 

*🌸मास्टर प्यारेलाल गुप्ता उत्तर प्रदेश के अलीगढ* जिले के रहने वाले थे

 

🌸मास्टर प्यारेलाल गुप्ता को *चिड़ावा का गांधी*कहा जाता था

 

*🌸खेतडी नरेश अमर सिंह* द्वारा अमर सेवा समिति पर *दमनात्मक कार्यवाही*की गई

 

🌸खेतड़ी नरेश अमर सिंह के *चिड़ावा के दौरे*के दौरान *खेतडी नरेश की सेवा*के लिए अमर सेवा *समिति के सदस्यों को बेगार के लिए* बुलाया गया था

 

🌸लेकिन *अमर सेवा समिति* के सदस्य ने *बेगार करने से मना* कर दिया था

 

🌸इससे *खेतड़ी नरेश अमर सिंह* ने पुलिस को आदेश दिया कि इसके सदस्य को *कठोर दंड* दिया जाए

 

🌸राजा का आदेश प्राप्त होते ही तुरंत *पुलिस ने मास्टर प्यारेलाल गुप्ता सहित समिति के 7 सदस्यों* को गिरफ्तार कर लिया था और इन पर *भयानक अत्याचार* किए गए थे

 

🌸इन सातों सदस्यों को *घोड़ों के पीछे बांधकर 30 मिल* तक घसीटा गया

 

*🌸30 मील*तक घसीटने के बाद इन सदस्यों को *खेतड़ी की जेल* में डाल दिया गया जहां पर यह सब *3 दिन तक बिना अन्न जल* के बेहोश पड़े रहे

 

*🌸चिड़ावा अत्याचार* की सूचना पूरे देश में बिजली की तरह फैल गई

 

*🌸चांद करण शारदा* तत्काल चिड़ावा आए और लोगों को इन *अत्याचारों के विरुद्ध तनकर खड़े*रहने का आह्वान किया

 

*🌸सेठ जमुनालाल बजाज सेट घनश्याम दास बिरला तथा सेट बेनी प्रसाद डालमिया* आदि नेताओं ने *खेतड़ी के राजा को कठोर चिट्ठिया*ं लिखकर कड़ा विरोध जताया

 

🌸पूरे खेतडी में हाहाकार मचा रहा और

🌸इन सातो को *23 दिन बाद* छोड़ दिया गया

 

🌲शेखावाटी का किसान आंदोलन *1925 में शुरू* हुआ था और *1946 में श्री हीरालाल शास्त्री के माध्यम*से समाप्त हुआ था

 

🌲शेखावाटी के किसान आंदोलन *मुख्यतः आर्थिक शोषण*के विरुद्ध हुए और यह आंदोलन *अधिकतर जागीर क्षेत्रों*में हुए थे

 

*🌲3 दिसंबर 1945* को जयपुर राज्य प्रजामंडल द्वारा *ताज सर नामक स्थान* पर एक विशाल *जाट सम्मेलन* का आयोजन किया गया था

 

🌲प्रजामंडल समिति के सदस्य *श्री हीरालाल शास्त्री श्री टीकाराम पालीवाल सरदार हरलाल सिंह और एडवोकेट श्री विद्याधर कुलहरि* थे

 

🌲इनके द्वारा *प्रस्तुत प्रतिवेदन* को *राज्य की भूमि सुधारों के इतिहास में मेग्नाकार्टा* कहा जा सत्ता है

 

🌲यह प्रतिवेदन *एक संपूर्ण दस्तावेज* था जिसमें किसानो से संबंधित सभी समस्याएं यथा *भूमि का स्थाई बंदोबस्त लगान की न्यायोचित दर भूमि पर किसान का स्वामीत्व तथा बेदखली के विरुद्ध सुरक्षा लाग-बाग बेगार तथा खेतों पर लगाए गए पेड़ों के अधिकतर* अ

ादि का समाधान प्रस्तुत किया गया

 

🌲शेखावाटी का किसान आंदोलन *1925 में शुरू* हुआ था और *1946 में श्री हीरालाल शास्त्री के माध्यम*से समाप्त हुआ था

 

🌲शेखावाटी के किसान आंदोलन *मुख्यतः आर्थिक शोषण*के विरुद्ध हुए और यह आंदोलन *अधिकतर जागीर क्षेत्रों*में हुए थे

 

*🌲3 दिसंबर 1945* को जयपुर राज्य प्रजामंडल द्वारा *ताज सर नामक स्थान* पर एक विशाल *जाट सम्मेलन* का आयोजन किया गया था

 

🌲प्रजामंडल समिति के सदस्य *श्री हीरालाल शास्त्री श्री टीकाराम पालीवाल सरदार हरलाल सिंह और एडवोकेट श्री विद्याधर कुलहरि* थे

 

🌲इनके द्वारा *प्रस्तुत प्रतिवेदन* को *राज्य की भूमि सुधारों के इतिहास में मेग्नाकार्टा* कहा जा सत्ता है

 

🌲यह प्रतिवेदन *एक संपूर्ण दस्तावेज* था जिसमें किसानो से संबंधित सभी समस्याएं यथा *भूमि का स्थाई बंदोबस्त लगान की न्यायोचित दर भूमि पर किसान का स्वामीत्व तथा बेदखली के विरुद्ध सुरक्षा लाग-बाग बेगार तथा खेतों पर लगाए गए पेड़ों के अधिकतर* अ

ादि का समाधान प्रस्तुत किया गया देसी बुरा हत्याकांड की दशा का भयावह ब्यौरा दैनिक अर्जुन ने दिया था

 

*🌲जाट प्रजापति महायज्ञ*बीसवीं सदी का *सबसे बड़ा और विराट महायज्ञ*था

 

🌲इसमें *100मन घी की आहुतियां*दी गई थी और *साढे तीन लाख लोगों*ने भाग लिया था

 

*🌲शेखावाटी किसान आंदोलन* के तहत *मंडावा ठिकाने में देवी बख्श* ने *नागरिक अधिकारों की घोषणा*की थी

 

: *🌿शेखावाटी आंदोलन जयपुर का तृतीय चरण🌿*

 

*1931* में जयपुर राज्य *प्रजामंडल*की स्थापना हुई

 

जाट क्षेत्रीय किसान पंचायत का *वार्षिक सम्मेलन गोठड़ा गांव में 11 से 12 सितंबर 1938* को आयोजित किया गया था

 

*1 मार्च 1939*को जयपुर राज्य प्रजामंडल में *किसान दिवस* मनाया था

 

जयपुर महाराज ने प्रजामंडल के नेताओं के साथ *30 दिसंबर 1946 को समझौता* किया था

 

*1 जनवरी 1947* को *जयपुर राज्य प्रजामंडल* में महाराजा की छत्रछाया में *उत्तरदायी सरकार*का गठन किया था

 

इस सरकार का *मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री*को बनाया गया था

 

इस सरकार ने *25 जनवरी 1947* को जयपुर *जागीर लैंड टीनेंसी एक्ट-1947* पारित किया था

 

*मार्च 1947*को सीकर शेखावाटी के *किसान संघर्ष का अन्त* हुआ और *जयपुर में हीरालाल शास्त्री के नेतृत्व मे लोकप्रिय सरकार गठन* हुआ

 

*6 जून 1949* को राजस्थान सरकार ने *राजस्थान किसान सुरक्षा अधिनियम*पारित किया था

 

*1952* में राजस्थान सरकार ने *जागीरदारी व जमीदारी उन्मूलन अधिनियम* पास किया

 

 

*✍🏻📚भू राजस्व निर्धारण हेतु पद्धतियां लाग एवं कर📚✍🏻*

*📘काकड़ कुट*➖ इस पद्धति के अंतर्गत *खड़ी फसल के आधार* पर उपज का अनुमान लगा कर *कर* निर्धारित किया जाता था

 

*📘डोरी*➖इस पद्धति के अनुसार *प्रति बीघा के हिसाब से लगान निर्धारित*किया जाता था इसके तहत *हलगत और बीघोड़ी पद्धतियां* प्रयुक्त होती थी

 

*📘घर बराड़*➖ *मेवाड*में वसूल किया जाने वाला *कर*

 

*📘घर बाब*➖ *मारवाड़*में मशहूर किया जाने वाला घर

 

*📘घर की बिछोती*➖ *जयपुर* में वसूल किया जाने वाला *कर*

 

*📘खिचड़ी लाग*➖किसी गॉव के पास *पडाव डालने पर राज्य की सेना हेतु भोजन* के लिए गांव के लोगों से वसूल किया जाने वाला *लाग*

 

*📘जावामाल*➖ ठिकााने की ओर से *पशुओ*ं पर लगाया गया *कर*

 

*📘पान चराई*➖ *भेड़ बकरी की चराई* पर लिया जाने वाला *कर*

 

*📘घास मरी*➖ *चराई करो* का सामूहिक नाम

 

*📘मलबा और चौधर बाब*➖ *मारवाड़ में किसानों* से वसूले जाने वाले *कर*

 

*📘कमठा लाग*➖ *गढ़ के निर्माण व मरम्मत* हेतु *दो रुपए प्रति घर*से वसूलना

 

*📘रूखवाली भाछ*➖ *बीकानेर में राठौड़ों सिख्खो जोहियो बागी ठाकुरों की लूट खसोट* से देश को बचाने के लिए *नए सैनिक दायित्व की पूर्ति हेतु यह कर* वसूल किया जाता है इसे *रक्षात्मक कर* की भी संज्ञा दी गई है

 

*📘गनीम बराड*➖ *मेवाड़*के युद्ध के समय यह *युद्ध कर* वसूल किया जाता था

 

*📘राम राम लाग*➖इसे *मुजरा लाग*भी कहते हैं यह *प्रति व्यक्ति ₹1*के हिसाब से वसूल की जाती है

 

*📘कुंवर जी का घोड़ा*➖ *लाग* का एक प्रकार

 

*📘तालियां*➖ताली शब्द उस भूमी के लिए प्रयुक्त किया जाता था जहां *शिकार के लिए सूअर पाले* जाते थे

 

*📘अंगा कर*➖ मारवाड़ में *महाराजा मानसिह* के समय *प्रति व्यक्ति से एक रुपए*की दर से वसूल किया जाने वाला *कर*

 

*📘दाण*➖  *मेवाड और जैसलमेर*राज्यों में *माल के आयात निर्यात* पर लगाया जाने वाला *कर*

 

*📘रेख*➖वह *मापदण्ड*जिसके आधार पर *सामंतो व जमींदारों से राजकीय शुल्को* की वसूली की जाती थी

 

*📘हबूब*➖ *राज्य के बढ़ते हुए खर्चे* की पूर्ति के लिए लिया जाने वाला *कर*

 

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