राजस्थान भूमि विकास निगम

*🔱🌹राजस्थान भूमि विकास निगम🌹🔱*

*🔷राजस्थान भूमि विकास निगम 1975*के अनुसार राजस्थान राज्य में *भूमि के नुकसान और कृषि के उत्पादन* में होने वाली *क्षति* को रोकने के लिए

 

*🔷भूमि और जल संसाधनों* के अधिकतम *उपयोग को सुनिश्चित* करने की दृष्टि से

 

🔷भूमि विकास से संबंधित *परियोजनाओं के निष्पादन* हेतु

 

*🔷राजस्थान भूमि विकास निगम* का गठन किया गया था

 

🔷,वर्तमान में राज्य सरकार के निर्देशानुसार *राजस्थान भूमि विकास निगम द्वारा वर्ष 1997-98* से राजस्थान राज्य में *कृषकों को कृषि उपयोग हेतु*कृषि निदेशालय द्वारा *निर्धारित दरों पर जिप्सम वितरण* का कार्य संपादित किया गया था

 

*🔱🌹भूमि सुधार कानून🌹🔱*

 

🔷राजस्थान राज्य में *हरित क्रांति* की नीति एवं व्यूह रचना से किसानों में कृषि के प्रति लाभ की प्रवृत्ति बढ़ी और *कृषि कार्य को किसान एक उपयोगी धंधा* मानने लगा

 

🔷किसानों को *खातेदारी अधिकार* मिलने से *जागीरदार -जमींदारों के शोषण से मुक्ति* मिलने और *उचित तथा तर्कसंगत lagaan निर्धारण*जोतो कि *सीमा निर्धारण* आदि से *किसानों का कृषि के प्रति रुझान* बढ़ा

 

🔷कृषक *भूमि सुधार कानून* से पूरी तन्मयता से *कृषि कर राज्य के आर्थिक विकास* में सहयोगी बनने लगा

 

🔷 सन *1949* में राज्य के गठन के समय *34648* गांव में से *60% जागीरदार प्रथा, 20% जमीदारी और विश्वेदारी प्रथा,20% क्षेत्र में ही मात्र रैयतवाडी प्रथा* थी

 

🔷इस कारण *किसान का शोषण* होता था, *बेगार प्रथा*प्रचलित थी *मनमाने ढंग से लगान वसूला*जाता था, *बेदखली की प्रथा* मौजूद थी, *लाटा प्रणाली प्रचलित* थी

 

🔷इस कारण से *भूमि सुधार कानून*बनाया गया

 

🔷राजस्थान में शासन की *भूमि सुधार नीति*का *सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य शोषण व सामाजिक अन्याय के समस्त तत्वों का विलोपन करना* था

🔷इसके लिए *निम्न नियम* बनाए गए

 

*🌺बेदखली से रक्षा🌺➖* *राजस्थान (काश्तकार संरक्षण) अध्यादेश 1949*बना और काश्तकारों को भूमि का *मालिकाना हक* दिया

 

*🌺लगान नियंत्रण🌺➖*

🍃सन *1951 में मनमाने ढंग*से वसूल किए जाने वाले *लगान*में समानता लाने के लिए *राजस्थान उपज लगान अधिनियम 1951* लागू किया

 

🍃इस अधिनियम के अनुसार *कुल उपज का अधिकतम छठा हिस्सा लगान*के रूप में लिया जा सकता था

 

*🍃राजस्थानी काश्तकारी अधिनियम 1955* पास कर  सरकार ने कृषको को  *लगान की वसूली में शोषण के प्रति संरक्षण* प्रधान किया गया था

 

*🌺जागीरदारी प्रथा का अंत🌺➖*

🍃1952 में *राजस्थान भूमि सुधार व जागीर पूनर्ग्रहण अधिनियम 1952*लागू किया गया

 

🍃जागीरदारों को *मुआवजा व पुनर्वास अनुदान* दिया गया

 

🍃इस प्रकार *जागीरदारों से कृषि योग्य जमीन को ले कर कास्तकारों*में बांटी गई

 

*🌺जमीदारी एवं विश्वेदारी प्रथा का अंत🌺➖* राजस्थान में *1 नवंबर 1959* से भूमि मध्यस्थो की भूमिका को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने *राजस्थान जमीदारी एवं विश्वेदारी उन्मूलन अधिनियम 1959*लागू किया

 

*🌺राजस्थान काश्तकारी अधिनियम1955🌺➖*

🍃राजस्थान राज्य मे *काश्तकारो को भूमि के स्वामित्व* के अधिकार देने के लिए

 

*🍃भू-निर्धारण* की सुरक्षा प्रदान करने

 

*🍃बेदखली पर नियंत्रण* करने

 

*🍃लगान के न्यायोचित* निर्धारण करने

 

*🍃भूमि हस्तांतरण* के अधिकार *किसानों को देने*

 

🍃भूमि की *रहन की अवधि 5 वर्ष से अधिक नहीं*होने

 

🍃खातेदारी काश्तकारों को *भूमि को किराए* पर देने

🍃काश्कतारों से *नजराना एवं बेगार लेने पर रोक* लगाने

 

🍃कृषि भूमि पर काश्तकारों को *आंशिक रूप से मकान बनाने* की छूट देने आदि सुधार हेतु *राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955*लागू किया गया

 

🍃जिससे *काश्तकारों की माली हालत* में सुधार हुआ

🍃काश्तकार *अपनी भूमि समझकर कृषि कार्य* करने लगे

 

*🌺भू-जोतों की अधिकतम सीमा निर्धारण🌺➖*

🍃सन *1953 से प्रारंभ किया गया संशोधन 27 फरवरी 1973 को नए विधायक के रुप* में सामने आया

 

🍃 इसके तहत *सिंचित क्षेत्र में भूमि की सीमा 18 एकड़ रेगिस्तानी क्षेत्र में 175 एकड़* निर्धारित की गई

🍃अलग-अलग क्षेत्रों में *अलग-अलग भूमि सीमाएं निर्धारित*की गई

 

🍃वर्तमान *सिंचित क्षेत्र* में जोतो की अधिकतम सीमा *7.28 हेक्टेयर से 10.93 हैक्टेयर*के बीच

 

🍃असिंचित क्षेत्र में *21.85 से 70.82हैकेटेयर* के बीच निर्धारित की गई है